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हिंदू धर्म में जब भी भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, तो उनके वाहन नंदी की भी विशेष रूप से की जाती है। नंदी को कैलाश का द्वारपाल कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपकी कोई मनोकामना हैं और चाहते हैं कि शीघ्र मनोकमानाएं पूरी हो, तो नंदी के कानों में अपनी इच्छा बोलें। कहते हैं कि नंदी के जरीए भगवान शिव अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नंदी को ऋषि शिलाद का पुत्र भी माना जाता है। उन्होंने अमरत्व और भगवान शिव के आशीर्वाद से एक संतान का वरदान पाने के लिए कठोर तपस्या की और नंदी को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त किया था। नंदी ने शिव जी की भक्ति में जीवन भर लगा दिया था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अपना वाहन बना लिया। नंदी को धर्म के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। इसलिए संसद में स्थापित धर्मदंड सेंगोल के शीर्ष पर नंदी विराजमान हैं। शिव मंदिरों में भगवान शिव की मूर्ति के सामने या शिव मंदिर के बाहर नंदी की मूर्ति स्थापित होती है। अब ऐसे में नंदी की पूजा का भी महत्व है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
नंदी की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिवजी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। नंदी के कान में अपनी मनोकामना बोलने से वह जल्द ही पूरी होने की मान्यता है। नंदी पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। नंदी की पूजा करने से मन में शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। नंदी पूजा करने से बुद्धि और बल में वृद्धि होती है। नंदी पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। नंदी की पूजा करने से व्यक्ति को सफलता की प्राप्ति होती है।