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चंपा षष्ठी की पूजा विधि

किसान-चरवाहों-शिकारियों के देवता माने जाते हैं खंडोबा, जानें उनकी पूजा विधि 


भगवान शिव के योद्धा अवतार को समर्पित चम्पा षष्ठी हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रुप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को चंपा षष्ठी, गुहा षष्ठी या अन्नपूर्णा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल चंपा षष्ठी 07 दिसंबर 2024 दिन शनिवार को है।चम्पा षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के साथ खंडोबा बाबा की पूजा की जाती है। भगवान शंकर के इस खंडोबा स्वरूप को किसानों, चरवाहों और शिकारियों का स्वामी माना जाता है।


ऐसे करें चंपा षष्ठी की पूजा


  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्कंद षष्ठी व्रत के दिन जातक को सुबह उठकर स्नान करें, उसके बाद संकल्प करें।
  • संकल्प लेने के बाद माता पार्वती और भगवान शिव के साथ कार्तिकेय जी की प्रतिमा की स्थापना करें।
  • मूर्ति स्थापना करने के बाद पूजा करें, पूजा में फूल, मौसमी फल, मेवा, जल, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि चीजों से पूजा करें।
  • पूजा करने के बाद तीनों देवों की आरती करें साथ ही शाम के समय भजन-कीर्तन करें।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंपा षष्ठी के दिन फलाहार रहकर व्रत रखें। इससे भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होगा।


कार्तिकेय और दैत्य तारकासुर की कथा

 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान कार्तिकेय अपने माता-पिता शिव और पार्वती तथा छोटे भाई गणेश से किसी कारण नाराज होकर कैलाश पर्वत छोड़कर चले गए। वह मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के समीप रहने लगे। इसी दौरान मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कार्तिकेय ने दैत्य तारकासुर का वध किया। इस तिथि को देवताओं ने उन्हें अपनी सेना का सेनापति नियुक्त किया। चंपा के फूल भगवान कार्तिकेय को प्रिय थे, इसलिए इस दिन को चंपा षष्ठी के नाम से जाना जाने लगा।


इस दिन व्रत और पूजा करने का लाभ 


इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से भक्तों के सारे पाप कट जाते हैं, उनकी सारी परेशानियों पर विराम लग जाता है, यही नहीं उसे सुख-शांति मिलती भी है और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि चंपा षष्ठी व्रत करने से जीवन में प्रसन्नता बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है। भगवान कार्तिकेय मंगल ग्रह के स्वामी हैं। मंगल को मजबूत करने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए।


आरती


जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।

मंत्र जाप के लाभ

‘मंत्र’ शब्द संस्कृत भाषा से आया है। यहां 'म' का अर्थ है मन और 'त्र' का अर्थ है मुक्ति। मंत्रों का जाप मन की चिंताओं को दूर करने, तनाव और रुकावटों को दूर करने एवं आपको बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित करने में मदद करने का एक सिद्ध तरीका है।

राधा के मन में, बस गए श्याम बिहारी(Radha Ke Man Mai Bas Gaye Kunj Bihari)

श्याम रंग में रंग गई राधा,
भूली सुध-बुध सारी रे,

Jis Bhajan Mein Ram Ka Nam Na Ho (जिस भजन में राम का नाम ना हो)

जिस भजन में राम का नाम ना हो,
उस भजन को गाना ना चाहिए ॥

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