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हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु समय-समय पर धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करने के लिए अवतार लेते हैं। कल्कि, विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार माने जाते हैं। पुराणों के अनुसार, कल्कि अवतार कलियुग के अंत में होगा। कलियुग वह समय है जब अधर्म, अन्याय और पाप अपने चरम पर होंगे। भगवान कल्कि का उद्देश्य धर्म की पुनर्स्थापना करना, पापियों का नाश करना और सतयुग की शुरुआत करना है। आपको बता दें, भगवान कल्कि को एक योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है। वे एक सफेद घोड़े पर सवार होकर आते हैं और उनके हाथ में एक तलवार होती है। वे धर्म और न्याय के प्रतीक हैं। धार्मिक ग्रंथों में कल्कि अवतार के बारे में भविष्यवाणियां की गई हैं। इन भविष्यवाणियों के अनुसार, वे एक शक्तिशाली योद्धा होंगे और धर्म की स्थापना करेंगे। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कल्कि अवतार के बारे में विशेष रूप से भविष्यवाणियां भगवान विष्णु के दशावतार के सिद्धांत में पाई जाती हैं, जो कि श्रीमद्भगवद गीता और पुराणों में वर्णित हैं। जैसे कि 'भागवतम' और 'विष्णु पुराण' में इस अवतार का उल्लेख किया गया है। कल्कि अवतार को एक युवा, तेजस्वी घुड़सवार के रूप में चित्रित किया जाता है, जो सशस्त्र होकर धरती पर पाप का नाश करेगा और धर्म की पुनः स्थापना करेगा। इस अवतार के माध्यम से भगवान विष्णु धरती पर अंतिम बार आएंगे और सत्य, न्याय और धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे। इसके अनुसार, कल्कि का अवतार तब होगा जब समाज में सभी पवित्रता और नैतिकता समाप्त हो जाएगी और अधर्म, झूठ और हिंसा का बोलबाला होगा। फिर भगवान विष्णु कल्कि के रूप में प्रकट होंगे, और सम्पूर्ण पाप का नाश कर देंगे।
कल्कि भगवान विष्णु के अवतार हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कल्कि को भविष्य का अवतार माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से भविष्य में आने वाली समस्याओं से सुरक्षा मिलती है। कल्कि को अधर्म का नाश करने वाला माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से अधर्म से मुक्ति मिलती है।