Govardhan Puja Vidhi: गोवर्धन पूजा कैसे करें? यहां जानें पूरी पूजा विधि और अनुष्ठान
गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है। यह पर्व उस ऐतिहासिक अवसर की याद दिलाता है जब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए इंद्र के अहंकार को कुचल दिया था। साल 2025 में गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा 2025 शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त के अनुसार ही की जानी चाहिए:
- प्रातःकाल मुहूर्त: प्रात: 6 बजकर 26 मिनट से प्रात: 8 बजकर 42 मिनट तक
- सायंकाल मुहूर्त: दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शाम 5 बजकर 44 मिनट तक
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा की चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका:
1. प्रातःकालीन अनुष्ठान
- जल्दी उठें और पूजा के लिए स्नान करें।
- यह आपको शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध करने में सहायक होगा।
2. पूजा स्थल तैयारी
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें।
- दीये और अगरबत्ती जलाएं।
- यह स्थान को पवित्र बनाने में मदद करेगा।
3. गोवर्धन मूर्ति निर्माण
- गाय के गोबर से गोवर्धन की मूर्ति बनाएं।
- मूर्ति को खुले स्थान पर (अधिमानतः दक्षिण-पूर्व दिशा में) रखें।
4. षोडशोपचार पूजा
- गोवर्धन पर्वत की षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
- धूप, दीप, जल, फल और नैवेद्य अर्पित करें।
5. प्रार्थना
- मूर्ति के सामने फूल चढ़ाएं।
- हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करें।
6. छप्पन भोग तैयारी
- सात्विक व्यंजनों का उपयोग करके 56 व्यंजन तैयार करें।
- इन्हें छप्पन भोग के रूप में जाना जाता है।
7. भोग अर्पण
- भोग को प्रसाद के रूप में मूर्ति को अर्पित करें।
8. भक्ति गीत
- भगवान कृष्ण को समर्पित भक्ति गीत गाएं।
9. मंत्र जाप
- मंत्र का जाप करें: "|| श्रीगिरिराजधरनप्रभुतेरीशरण ||"
10. परिक्रमा
11. आरती
- आरती करें और भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
गोवर्धन पूजा के अनुष्ठान
1. अन्नकूट अनुष्ठान
- 56 प्रकार के व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
- मिठाइयाँ, नमकीन और अन्य व्यंजन शामिल होते हैं।
- ये प्रसाद के रूप में भगवान कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं।
2. भगवान कृष्ण की मूर्तियों का शृंगार
- मथुरा और नाथद्वारा में मूर्तियों को विशेष रूप से सजाया जाता है।
- दूध से स्नान कराया जाता है।
- नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं।
3. भोग लगाने की परंपरा
- थालियों पर भोजन और मिठाइयाँ सजाई जाती हैं।
- भोजन के पहाड़ बनाए जाते हैं।
4. दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में विशेष पूजा
- कुछ क्षेत्रों में इसे बलि पड़वा या बलि प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है।
- भगवान विष्णु के वामन अवतार की याद में मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण और उनके भक्तों के बीच के अनमोल बंधन को दर्शाता है। यह त्योहार भक्ति और आस्था का सम्मान करने का दिन है, जो हमें याद दिलाता है कि भगवान जीवन की चुनौतियों के दौरान अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
इस दिन की कहानी हमें प्रकृति की शक्ति का सम्मान करना और उसके आशीर्वाद के लिए आभारी होना सिखाती है। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था, जो दर्शाता है कि भक्ति ही ईश्वर से जुड़ने का मार्ग है।