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गोदावरी देवी की पूजा कैसे करें?

इस विधि से करें गोदावरी नदी की पूजा, सभी रोगदोष से मिल सकता है छुटकारा 


गोदावरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा माना जाता है। गोदावरी को पवित्र नदी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके जल में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मन शुद्ध होता है। गोदावरी को देवी गंगा का ही एक रूप माना जाता है। इसलिए इसे देवी के रूप में पूजा जाता है। गोदावरी नदी में स्नान करने मात्र से ही व्यक्ति को सभी रोगदोष से भी छुटकारा मिल जाता है। गोदावरी नदी ऋषि वसिष्ठ और उनके पुत्र गौतम से जुड़ी हुई है। इन ऋषियों के कई आश्रम गोदावरी के किनारे स्थित थे। गोदावरी नदी के किनारे संतों और महात्माओं ने ध्यान और साधना की है। इस नदी के जल को धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल किया जाता है और इसे दिव्य और अमृत समान माना जाता है। अब ऐसे में गोदावरी नदी की पूजा करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए ही हैं। आइए इस लेख में विस्तार से पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

गोदावरी देवी की पूजा करने के लिए सामग्री 


गोदावरी देवी की पूजा के लिए प्रतिमा

  • कलश - गंगाजल, रोली, चावल, कुछ सिक्के और आम के पत्ते
  • दीपक - घी या तेल का दीपक
  • धूपबत्ति
  • फूल
  • चंदन
  • रोली
  • अक्षत
  • नारियल
  • आसन
  • फूल
  • फल

गोदावरी देवी की पूजा किस विधि से करें? 


  • सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ करें। यदि आप नदी के किनारे पूजा कर रहे हैं तो वहां की सफाई करें। 
  • किसी पवित्र स्थान या नदी के किनारे पर पूजा करने का संकल्प लें।
  • पूजा की सामग्री में आम तौर पर दीपक, फूल, चंदन, जल, नारियल, फल, मिठाई, ताजे पत्ते, और गंगाजल या गोदावरी का पानी लें। 
  • नदी के तट पर फूल अर्पित करें, और फिर उसे जल में प्रवाहित करें।
  • दीपक जलाकर देवी को प्रणाम करें।
  • एक कटोरी में पानी भरकर देवी के सामने रखें।
  • उसके बाद गोदावरी माता के मंत्रों का जाप करें।
  • ऊं गोदावरी महाक्रूरी प्रदुष्ट
  • ऊं नमो भगवते गोदावरी देव्यै नमः
  • ऊं गंगायै नमः
  • गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥
  • आखिर में गोदावरी माता की आरती करें और फिर एक स्थान पर खड़े होकर 21 बार परिक्रमा लगाएं। 

गोदावरी स्तोत्र का करें जाप 


या स्नानमात्राय नराय गोदा गोदानपुण्याधिदृशिः कुगोदा।
गोदासरैदा भुवि सौभगोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।
या गौपवस्तेर्मुनिना हृताऽत्र या गौतमेन प्रथिता ततोऽत्र।
या गौतमीत्यर्थनराश्वगोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।
विनिर्गता त्र्यम्बकमस्तकाद्या स्नातुं समायान्ति यतोऽपि काद्या।
काऽऽद्याधुनी दृक्सततप्रमोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।गङ्गोद्गतिं राति मृताय रेवा तपःफलं दानफलं तथैव।
वरं कुरुक्षेत्रमपि त्रयं या गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।
सिंहे स्थिते वागधिपे पुरोधः सिंहे समायान्त्यखिलानि यत्र।
तीर्थानि नष्टाखिललोकखेदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।
यदूर्ध्वरेतोमुनिवर्गलभ्यं तद्यत्तटस्थैरपि धाम लभ्यम्।
अभ्यन्तरक्षालनपाटवोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।
यस्याः सुधास्पर्धि पयः पिबन्ति न ते पुनर्मातृपयः पिबन्ति।
यस्याः पिबन्तोऽम्ब्वमृतं हसन्ति गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।
सौभाग्यदा भारतवर्षधात्री सौभाग्यभूता जगतो विधात्री।
धात्री प्रबोधस्य महामहोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

गोदावरी देवी की पूजा करने का महत्व


गोदावरी देवी की पूजा करने से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गोदावरी नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप गोदावरी नदी की पूजा करना चाहते हैं, तो शुक्ल पक्ष पर करना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि गोदावरी देवी की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है और यहां तक कि भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है। 

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