Dussehra Puja Vidhi 2025: दशहरा पूजन कैसे करें, यहां जानिए शास्त्रों के मुताबिक सही विधि
हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी तिथि पर माता दुर्गा ने राक्षसों के राजा महिषासुर का वध किया था और इसी दिन श्री राम ने रावण का भी संहार किया था। विजयादशमी का त्योहार वर्षा ऋतु की समाप्ति तथा शरद के आरंभ का भी सूचक होता है। आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल तारा उदय होने के समय 'विजयकाल' रहता है। यह सभी कार्यों को सिद्ध करता है। आश्विन शुक्ल दशमी पूर्वविद्धा निषिद्ध, परविद्धा शुद्ध और श्रवण नक्षत्रयुक्त सूर्योदयव्यापिनी सर्वश्रेष्ठ होती है। अपराह्न काल, श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का प्रारंभ विजय यात्रा का मुहूर्त माना गया है। दुर्गा-विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय-प्रयाग, शमी पूजन तथा नवरात्र-पारण इस पर्व के महान कर्म हैं। आइए जानें दशहरा की पूजा विधि और सामग्री एवं इस दिन कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए, इस बारे में विस्तार से।
दशहरा 2025 पूजा सामग्री दशहरा की पूजा के लिए सामग्री के तौर पर शामिल करें 8 कमल की पंखुड़ियां, कमल की माला, फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, श्री राम के श्रृंगार की वस्तुएं, भोग के लिए मिठाई, घी, दीपक और कलावे की बत्ती, एक चौकी, श्री राम की प्रतिमा या फोटो आदि।
क्षत्रिय/राजपूतों के लिए पूजन विधि
- इस दिन प्रातः स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर निम्न संकल्प लें-
मम क्षेमारोग्यादिसिद्ध्यर्थं यात्रायां विजयसिद्ध्यर्थं गणपतिमातृकामार्गदेवतापराजिताशमीपूजनानि करिष्ये।
- पश्चात देवताओं, गुरुजन, अस्त्र-शस्त्र, अश्व आदि का विधि पूर्वक पूजन करें।
- फिर पूर्व या उत्तर मुख बैठकर पहले शमी का पूजन निम्न मंत्र का पाठ करते हुए करें-
शमी शमय मे पापं शमी लोहितकंटका। धारिण्यर्जुन बाणानां रामस्य प्रियवादिनी॥ करिष्यमाणयात्रायां यथाकालं सुखं मम। तत्र निर्विघ्नकर्त्री त्वं भव श्रीरामपूजिते॥
- फिर अश्मंतक की प्रार्थना निम्न मंत्र से करें-
अश्मंतक महावृक्ष महादोषनिवारक। इष्टानां दर्शनं देहि शत्रूणां च विनाशनम्॥
- शमी या अश्मंतक के या दोनों के पत्ते लेकर उनमें पूजा स्थान की थोड़ी सी मृत्तिका, कुछ चावल तथा एक सुपारी रखकर कपड़े में बांध लें और कार्यसिद्धि की कामना से अपने पास रखें।
- पूर्व दिशा में विष्णु की परिक्रमा करके अपने शत्रु के स्वरूप को हृदय में और उसके चित्र को दृष्टि में रखकर सुवर्ण के शर से उसके मर्मस्थल का भेदन करें।
- फिर 'शत्रु को जीत लिया है' कहते हुए वृक्ष की परिक्रमा करें।
सामान्यजन के लिए पूजन विधि
इस दिन प्रातःकाल देवी का विधिवत पूजन करके नवमीविद्धा दशमी में विसर्जन और नवरात्र का पारण करें।
अपराह्न बेला में ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन, कुंकुम आदि से अष्टदल कमल का निर्माण करके संपूर्ण सामग्री जुटाकर अपराजिता देवी के साथ जया और विजया देवियों का पूजन करें।
शमी वृक्ष के पास जाकर विधिपूर्वक शमी देवी का पूजन कर शमी वृक्ष की जड़ की मिट्टी लेकर वाद्य यंत्रों सहित वापस लौटें।
यह मिट्टी किसी पवित्र स्थान पर रखें। इस दिन शमी के कटे हुए पत्तों अथवा डालियों की पूजा नहीं करनी चाहिए।
रावण दहन शुभ मुहूर्त में ही करें।