इस विधि से करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा, सभी कार्यों में मिलेंगे अच्छे परिणाम
भगवान चित्रगुप्त हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। उन्हें कर्मों का लेखाकार माना जाता है। वे सभी मनुष्यों के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और मृत्यु के बाद व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा के तप से हुई थी। ब्रह्मा जी ने जब यमराज को मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने का कार्य सौंपा, तब उन्होंने इसकी जिम्मेदारी निभाने के लिए एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता महसूस की जो अत्यंत बुद्धिमान और निष्पक्ष हो। तब उन्होंने कठोर तप किया और उनके तप से भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए।
भगवान चित्रगुप्त सभी मनुष्यों के कर्मों का बारीकी से लेखा-जोखा रखते हैं। उनके पास एक विशाल पुस्तक होती है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के सभी कर्मों का विवरण दर्ज होता है। मृत्यु के बाद, आत्मा को भगवान चित्रगुप्त के समक्ष पेश किया जाता है। वे व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसके पुनर्जन्म का निर्धारण करते हैं। आपको बता दें, भगवान चित्रगुप्त को कायस्थ समाज का कुलदेवता माना जाता है। कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त की पूजा विशेष रूप से करते हैं। अब ऐसे में इनकी पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
भगवान चित्रगुप्त की पूजा के लिए क्या सामग्री लगेगी?
- चित्रगुप्त जी की प्रतिमा
- गणेश जी की प्रतिमा
- चौकी
- लाल या पीला कपड़ा
- कलम, दवात, कागज
- धूप, दीप
- चंदन, रोली, अक्षत
- फूल, फल
- नैवेद्य
- गंगाजल
- हल्दी
- तुलसी के पत्ते: पवित्र पत्ते।
- कपूर
- पान, सुपारी
भगवान चित्रगुप्त की पूजा किस विधि से करें?
- भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विशेष महत्व है। वे लेखांकन और न्याय के देवता माने जाते हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
- चित्रगुप्त पूजा का सबसे शुभ दिन दीपावली के अगले दिन, यानी भाई दूज माना जाता है। आप किसी पंचांग या पंडित से शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी ले सकते हैं।
- एक साफ-सुथरे स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- उनके सामने एक दीपक जलाएं।
- सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।
- फिर भगवान चित्रगुप्त को गंगाजल से स्नान कराएं।
- चंदन, रोली, अक्षत से तिलक लगाएं और फूल अर्पित करें।
- धूप-दीप जलाएं और नैवेद्य अर्पित करें।
- कलम, दवात और कागज को भगवान के चरणों में रखें।
- मंत्रों का जाप करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
- चित्रगुप्त की पूजा करने के दौरान मंत्रों का जाप अवश्य करें।
- ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं चित्रगुप्ताय नमः
- आखिर में एक सादे कागज पर अपना नाम, पता और वर्तमान वर्ष का लेखा-जोखा लिखें।
- इस कागज को भगवान चित्रगुप्त के चरणों में रखें।
- भगवान चित्रगुप्त से अपने सभी पापों के क्षमा करने और सुख-समृद्धि देने की प्रार्थना करें।
भगवान चित्रगुप्त की पूजा का महत्व क्या है?
भगवान चित्रगुप्त को हिंदू धर्म में कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला देवता माना जाता है। वे यमराज के सहायक हैं और सभी मनुष्यों के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखाजोखा रखते हैं। चित्रगुप्त जी हमारे सभी कर्मों को बड़े ध्यान से लिखते हैं और मृत्यु के बाद हमारे कर्मों के आधार पर ही हमें स्वर्ग या नर्क की प्राप्ति होती है।
इसलिए इनकी पूजा करके हम अपने कर्मों को शुद्ध करने का प्रयास करते हैं। चित्रगुप्त जी को विद्या और बुद्धि का देवता भी माना जाता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को बुद्धि, विद्या और लेखन कौशल में वृद्धि होती है। चित्रगुप्त जी की कृपा से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है।