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छठ पूजा विधि

छठ पूजा पर इस विधि से करें मां की अराधना, इन नियमों का रखें ध्यान 


छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इसका विशेष महत्व है। छठ पूजा के दौरान लोग सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देते हैं। यह त्योहार अखंड सौभाग्य, संतान के उत्तम स्वास्थ्य और सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान महिलाएं व्रत रखती हैं। बता दें कि इस व्रत को 36 घंटे तक निर्जला रखने का विधान है। ऐसे में इस लेख में हम आपको बताएंगे कि छठ पूजा कैसे मनाई जाती है और इसके दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए। साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि छठ पूजा के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।



छठ पूजा की विधि 


छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इसका विशेष महत्व है।



छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री


छठ पूजा के लिए कुछ सामग्रियों की विशेष आवश्यकता होती है, जैसे- 


  • बांस की टोकरी
  • सूप
  • फल, फूल, पत्ते लगे गन्ने, पकवान इत्यादि
  • कुमकुम 
  • पान 
  • सुपारी 
  • सिंदूर
  • अक्षत
  • धूप
  • दीप
  • थाली
  • लोटा
  • नए वस्त्र
  • नारियल पानी भरा
  • अदरक का हरा पौधा
  • मौसम के अनुकूल फल
  • कलश (मिट्टी या पीतल का)



छठ पूजा की विधि


छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है। इसमें हर दिन का अपना अलग महत्व है- 


दिन 1: नहाय-खाय


छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन व्रती स्नान-ध्यान करने के बाद कद्दू-भात का सेवन करती हैं।नहाय-खाय के दिन शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करना होता है।


दिन 2: खरना


छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना करते हैं। इस दिन व्रती महिलाएं स्नान के बाद चावल और गुड़ का खीर बनाकर खरना माता को अर्पित करती हैं। शाम को पूजा के बाद घर सभी सदस्य पहले खरना प्रसाद ग्रहण करते हैं फिर भोजन करते हैं।


दिन 3: संध्याकालीन अर्घ्य


छठ पूजा के तीसरे दिन संध्याकालीन अर्घ्य होता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। बांस या पीतल की टोकरी या सूप का उपयोग करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें और मन ही मन उनसे अपनी मनोकामना कहें।


दिन 4: उगते हुए सूर्य को अर्घ्य


छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दिन भी बांस या पीतल की टोकरी या सूप का उपयोग करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें और मन ही मन उनसे अपनी मनोकामना कहें।



इन मंत्रों का करें जाप 


सूर्य पौराणिक मंत्र


जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।


सूर्य वैदिक मंत्र


ऊं आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।
हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।



छठ पूजा में प्रसाद का महत्व


छठ पूजा में प्रसाद का काफी महत्व होता है। खास तौर पर बांस के सूप में छठ के प्रसाद को सजाकर पूजा किया जाता है। सूर्य को अर्घ्य देते वक्त बांस के इस सूप को हाथ में रखते हैं।



प्रसाद में क्या होता है?


प्रसाद में फल, नारियल, गन्ना, सुपारी, सिंघाड़ा, मूली और खासतौर पर आटे का ठेकुआ तैयार किया जाता है। ठेकुआ के बिना छठ की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए व्रती खरना के दिन घरवालों के साथ मिलकर छठ मैया को चढ़ाने के लिए ठेकुआ बनाते हैं।



ठेकुआ बनाने की विधि


ठेकुआ बनाने के लिए भी आटे का शुद्ध होना जरूरी होता है। कई जगहों पर लोग गेंहू की पहली फसल आने पर उसी गेहूं के आटे का ठेकुआ बनाते हैं। ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं का आटा, गुड़, घी और इलायची का उपयोग किया जाता है। इन सभी सामग्रियों को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है और इसे एक विशेष आकार देकर तेल में फ्राय किया जाता है। इसे ठेकुआ कहा जाता है।



छठ पूजा में प्रसाद का महत्व


छठ पूजा में प्रसाद का काफी महत्व होता है। प्रसाद को सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है। प्रसाद को बांस के सूप में सजाकर पूजा किया जाता है। प्रसाद को घरवालों में बांटा जाता है और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।



छठ पूजा के नियम


छठ पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना होता है, जैसे- 


  • निर्जला व्रत रखना।
  • शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करना।
  • सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करना।
  • व्रती को अपने घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना होता है। 
  • व्रती को अपने वस्त्रों और आभूषणों की भी साफ-सफाई का ध्यान रखना होता है।
  • अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल की टोकरी या सूप का उपयोग करना।
  • मन ही मन सूर्य देव से अपनी मनोकामना कहना।
  • छठ पूजा के व्रत के दौरान किसी से वाद-विवाद न करें।
  • इसके अलावा व्रती को चारपाई पर नहीं सोना चाहिए।
  • किसी के प्रति मन में गलत विचार धारण नहीं करने चाहिए।

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वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल ||

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