नवीनतम लेख

छठ पर्व की पूजा विधि

छठ पूजा सूर्य आराधना का पावन पर्व, जानिए विधि और आवश्यक सामग्री


आस्था, शुद्धता और तपस्या का महापर्व छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के तराई इलाकों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इस पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।


छठ पूजा के लिए जरूरी है ये सामग्रियां

छठ पूजा की तैयारी में कुछ विशिष्ट पूजन सामग्रियों की आवश्यकता होती है। यह माना जाता है कि बिना इन सामग्रियों के पूजा अधूरी मानी जाती है। प्रमुख सामग्रियां इस प्रकार हैं —

  • बांस की टोकरी या सूप
  • नारियल (पानी भरा हुआ)
  • पत्ते लगे गन्ने
  • अक्षत (चावल)
  • सिंदूर
  • धूप, दीपक
  • थाली और लोटा
  • नए वस्त्र
  • अदरक का हरा पौधा
  • मौसम के अनुसार फल
  • कलश (मिट्टी या पीतल का)
  • कुमकुम
  • पान, सुपारी
  • घर में बना शुद्ध प्रसाद (ठेकुआ, कसार आदि)

इन सामग्रियों को बांस की टोकरी या सूप में सुंदर ढंग से सजाया जाता है।


छठ पूजा की विधि: चरण दर चरण

1. नहाय-खाय (पहला दिन)

छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है। इस दिन व्रती स्नान कर कद्दू भात और शुद्ध सात्विक भोजन करती हैं। पहले व्रती भोजन करती हैं फिर घर के अन्य सदस्य।

2. खरना (दूसरा दिन)

पंचमी के दिन व्रती दिनभर उपवास रखती हैं और शाम को स्नान करके चावल और गुड़ की खीर बनाकर छठी मैया को अर्पित करती हैं। पूजा के बाद यह प्रसाद पूरे परिवार में बांटा जाता है। खरना प्रसाद को बहुत शुभ माना जाता है।


3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)

षष्ठी के दिन संध्या समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती सूर्यास्त से थोड़ा पहले घाट पर पहुंचती हैं और स्नान के बाद सूप या टोकरी में सभी पूजन सामग्रियां रखकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करती हैं।


ध्यान दें:

  • टोकरी में फल, फूल, पकवान, गन्ना, नारियल और सिंदूर होना आवश्यक है
  • बांस या पीतल की टोकरी का उपयोग करें
  • अर्घ्य देते समय पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ छठी मैया का ध्यान करें


4. उषा अर्घ्य (चौथा दिन)

अगली सुबह व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह छठ पूजा का अंतिम चरण होता है। व्रती रातभर निर्जल उपवास करती हैं और प्रातः काल घाट जाकर पुनः पूजा करती हैं। उगते सूर्य को अर्घ्य देते समय अपनी मनोकामनाएं कहती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।


क्यों खास है छठ पूजा

छठ पूजा एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें उगते और डूबते दोनों सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह प्रकृति, स्वच्छता, नियम और आत्मसंयम का उत्सव है। इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती, व्रती स्वयं पूजा करती हैं।


मासिक जन्म अष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा विधि

हिंदू धर्म में प्रत्येक माह की अष्टमी को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे विश्व में कृष्ण भक्तों के द्वारा खूब हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है।

जिस दिल में आपकी याद रहे(Jis Dil Main Aapki Yaad Rahe)

जिस दिल में आपकी याद रहे
प्रभु दिल मेरा वो दिल करदो

भोले भोले रट ले जोगनी (Bhole Bhole Rat Le Jogani)

भोले भोले रट ले जोगनी,
शिव ही बेड़ा पार करे,

मोहनी मुरति साँवरी सूरति(Mohini Murat Sanwali Surat, Aai Basau In Nainan Me)

मोहनी मुरति साँवरी सूरति,
आइ बसौ इन नैनन में ।

यह भी जाने