बृहस्पतिवार के दिन विष्णु जी की पूजा कैसे करें, पूजा विधि के साथ जानें पूजन सामग्री और मंत्र-नियम भी
हिंदू धर्म में बृहस्पतिवार का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन बृहस्पति देव, जो कि ज्ञान, शिक्षा, और बौद्धिकता के देवता हैं, को समर्पित होता है। बृहस्पतिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और इसे विशेष रूप से ज्ञान, शिक्षा, और शुभ कार्यों से संबंधित दिन माना जाता है। बृहस्पति देव को गुरु ग्रह भी कहा जाता है। वे देवताओं के गुरु माने जाते हैं और उनका संबंध शिक्षा, बुद्धि, और धार्मिक ज्ञान से है। इस दिन को उनके आशीर्वाद के रूप में शुभ माना जाता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, और बौद्धिक उन्नति प्राप्त होती है। अब ऐसे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के बारे में जानते हैं।
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए सामग्री
बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इस दिन पूजा के लिए सामग्री के बारे में विस्तार से जानते हैं।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र
- पीले फूल
- पीले वस्त्र
- चंदन
- अक्षत
- धूप
- दीप
- नैवेद्य
- तुलसी
- गंगाजल
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा किस विधि से करें?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, धन-वैभव और शांति बनी रहती है।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को पीले फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- गुरुवार के दिन भगवान विष्णु मंत्रों का जाप करें।
- गुरुवार के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- गुरुवार के दिन पूजा करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
- इस दिन केले के पेड़ की पूजा का भी महत्व है। इसलिए आप विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करें और केले के पेड़ की परिक्रमा जरूर लगाएं।
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का करें जाप
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें।
- ऊं नमो भगवते वासुदेवाय
- ऊं विष्णवे नमः
- ऊं नमो नारायणाय
- ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय नमः
- अच्युतम केशवं विष्णुं हरिं माधव जनार्दनम्। गोविंदम पुंडरीकाक्षं त्रिविक्रम वामनं श्रिधरम्।।
- ऊं भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
- शांताकारं भुजङ्गशयनम पद्मनाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म। वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम। 1
- त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुः सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव।।
- ऊं नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए नियम क्या हैं?
- पूजा के पहले या बाद में भगवान विष्णु के भजन या मंत्रोच्चारण करना शुभ माना जाता है। यह विशेष रूप से बृहस्पतिवार के दिन लाभकारी होता है।
- बृहस्पतिवार के दिन पीले रंग का कपड़ा पहनना शुभ होता है, क्योंकि बृहस्पतिवार ग्रह के साथ पीला रंग जुड़ा हुआ है। साथ ही, पीली वस्तुएं जैसे कि हल्दी, चने, केला आदि भगवान विष्णु को चढ़ाई जाती हैं।
- अगर संभव हो तो बृहस्पतिवार के दिन उपवास रहना अच्छा माना जाता है।
- गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा भी विधिवत रूप से करें। इसके बाद परिक्रमा अवश्य लगाएं।
भगवान विष्णु की पूजा का महत्व क्या है?
भगवान विष्णु को धन और समृद्धि का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि आती है। भगवान विष्णु की पूजा से मन को शांति और स्थिरता मिलती है। भगवान विष्णु की पूजा से पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की भक्ति और पूजा से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।