Bhoomi Pujan Vidhi: घर के निर्माण की शुरुआत से पहले की जाती है भूमि पूजा, जानें पूजा विधि और पूजन के लाभ
किसी भी व्यक्ति के लिए घर उसका मंदिर होता है। इसी कारण से जब वो अपने घर के निर्माण कार्य की शुरुआत करता है, उससे पहले भूमि का पूजन करवाता है। दरअसल वो ऐसा इसलिए करता है, क्योंकि हिंदू संस्कृति में भूमि को माता माना गया है, और किसी भी प्रकार की खुदाई या निर्माण कार्य से पहले उसकी अनुमति लेना अनिवार्य होता है भूमि पूजा किसी भी नए निर्माण (जैसे घर, मंदिर, भवन या फैक्ट्री) की नींव रखने से पहले की जाने वाली एक पवित्र हिंदू परंपरा है। यह पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है, जिससे निर्माण कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण हो और उसमें रहने या काम करने वालों को सुख-समृद्धि प्राप्त हो। इस पूजा में भूमि पूजन, वास्तु देवता और नवग्रहों की शांति के लिए हवन और मंत्रोच्चार किए जाते हैं। माना जाता है कि सही विधि से शिलान्यास करने से भविष्य में सुखद और शुभ परिणाम मिलते हैं। चलिए आपको इस पूजा के बारे में लेख के जरिए विस्तार से बताते हैं।
भूमि पूजन की पूजा विधि
- भूमि पूजन - पूजा के दौरान सबसे पहले भूमि को गंगाजल, गोमूत्र और पंचगव्य से शुद्ध किया जाता है।
- गणपति पूजा - इसके बाद प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि निर्माण के दौरान कोई विघ्न न आए और निर्माण कार्य बिना बाधा के पूरा हो।
- नवग्रह पूजा - नौ ग्रहों की शांति के लिए पूजा करना भी आवश्यक होता है। इसी कारण से उनके विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है ।
- भूमि पूजन - पूजा के दौरान एक विशेष पत्थर को विधिपूर्वक पूजकर नींव में रखा जाता है। अंत में निर्माण स्थल को पवित्र करने के लिए हवन किया जाता है।
- शुभ आरंभ - पूजा समाप्त होने के बाद नींव की खुदाई का शुभारंभ किया जाता है। और इस तरह भूमि पूजन की प्रक्रिया खत्म होती है।
भूमि पूजन का शुभ मुहूर्त
भूमि पूजन करने के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंचांग देखकर सही तिथि, नक्षत्र और वार का चयन करते हैं। आमतौर पर यह पूजा अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति, और अन्य शुभ तिथियों पर की जाती है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से निर्माण में रहने वालों के लिए सुख शांति आती है।
भूमि पूजन का महत्व
भूमि पूजा में, वास्तु देवता और नवग्रहों की शांति के लिए हवन और मंत्रोच्चार किए जाते हैं। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पूजा व्यक्ति की समृद्धि, सफलता और सुख-शांति के लिए की जाती है। मान्यता है कि सही मुहूर्त में की गई यह पूजा घर, कार्यालय, दुकान या फैक्ट्री में सौभाग्य और खुशहाली लाती है।