नवीनतम लेख

भगवान इंद्र की पूजा विधि

स्वर्ग लोक के राजा इंद्रदेव की इस विधि से करें पूजा, समृद्धि के साथ धन और वैभव की भी होगी वृद्धि


सनातन धर्म में इंद्रदेव को देवों के राजा और आकाश, वर्षा, बिजली और युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है। इंद्रदेव के आशीर्वाद से पृथ्वी पर वर्षा होती है, जो कृषि और जीवन के लिए आवश्यक है। वे वर्षा के देवता के रूप में प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखते हैं। इतना ही नहीं, इंद्रदेव को व्रजधारी भी कहा जाता है, क्योंकि उनके पास वज्र नामक एक शक्तिशाली अस्त्र था, जो उन्हें असुरों और राक्षसों से युद्ध में विजय दिलाने के लिए विशेष रूप से दिया गया था। वज्र को आकाश में बिजली के रूप में दर्शाया जाता है। 

इंद्रदेव के बारे में ऋग्वेद में विस्तार से उल्लेख किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि सभी यज्ञों और संस्कारों में इंद्रदेव का भी आह्वान किया जाता है। इंद्रदेव की पूजा विशेष रूप से किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। अब ऐसे में अगर आप इंद्रदेव की पूजा कर रहे हैं, तो उनकी पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है और इंद्रदेव की पूजा कब करनी चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी द्वारा बताई गए जानकारी साझा कर रहे हैं। इसलिए आप इस लेख को विस्तार से पढ़ें। 


इंद्रदेव की पूजा किस विधि से करें? 


अगर आप इंद्रदेव की पूजा करने जा रहे हैं। तो विधि के बारे में जान लें। 

  • शुभ मुहूर्त - किसी विद्वान ब्राह्मण से इंद्रदेव की पूजा का शुभ मुहूर्त पूछें।
  • पूजा स्थल - आप इंद्रदेव की पूजा मंदिर में करें। इस स्थान सबसे उत्तम माना जाता है। 
  • पूजा सामग्री - इंद्रदेव की मूर्ति या चित्र, धूप, दीप, फूल, फल, तांबे के लोटे में जल, रोली, चंदन, नैवेद्य, दही, चावल, इंद्रधनुष के रंगों वाले वस्त्र आदि। 
  • पूजा विधि - सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और रंगोली बनाएं।
  • मूर्ति स्थापना - इंद्रदेव की मूर्ति या चित्र को एक आसन पर स्थापित करें।
  • दीप प्रज्ज्वलन - आप घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं। 
  • अभिषेक - तांबे के लोटे में जल भरकर इंद्रदेव का अभिषेक करें।
  • अर्पण - इंद्रदेव को फूल, फल, रोली, चंदन और इंद्रधनुष के रंगों वाले वस्त्र आदि अर्पित करें।
  • नैवेद्य - इंद्रदेव को दही और चावल का नैवेद्य चढ़ाएं।
  • मंत्र जाप - पूजा के दौरान इंद्रदेव के मंत्र जैसे कि "ॐ इंद्राय नमः" का जाप करें।
  • आरती -  आखिर में पूजा करने के बाद इंद्रदेव की आरती करें।

पूजा के बाद जमीन पर थोड़ा जल गिराकर उसे अपने मस्तक पर लगाकर तीन बार इंद्रदेव को नमस्कार करना चाहिए। इसके लिए सूक्ति कही जाती है, जैसे कि 'इन्द्राय नमः, शक्राय नमः' आदि। इसके अलावा आप पंडित जी से भी पूछ सकते हैं।


इंद्रदेव की पूजा कब करनी चाहिए? 


अगर आप इंद्रदेव की पूजा करना चाहते हैं, तो वर्षा ऋतु सबसे शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप पंडित से भी जानकारी लेकर पूजा करवा सकते हैं। 


इंद्रदेव की पूजा करने के लाभ


इंद्रदेव को वर्षा के देवता माना जाता है। इसलिए, सूखे या अकाल की स्थिति में उनकी पूजा करने से वर्षा की कामना की जाती है। इंद्रदेव को देवताओं का राजा और युद्ध के देवता भी माना जाता है। इसलिए, किसी भी कठिन कार्य या युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा कर सकते हैं। इंद्रदेव को ऐश्वर्य और धन-दौलत के देवता भी माना जाता है। इसलिए, उनकी पूजा करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।



ये मैया मेरी है, सबसे बोल देंगे हम (Ye Maiya Meri Hai Sabse Bol Denge Hum)

ये मैया मेरी है,
सबसे बोल देंगे हम,

हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी (He Hans Vahini Gyan Dayini)

हे हंसवाहिनी ज्ञान दायिनी
अम्ब विमल मति दे

बाबा ये नैया कैसे डगमग डोली जाये (Baba Ye Naiya Kaise Dagmag Doli Jaye)

बाबा ये नैया कैसे,
डगमग डोली जाए,

चैत्र के साथ कार्तिक मास में भी मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव, जानिए क्या है हनुमान के दो जन्मोत्सव मनाने का रहस्य

बल, बुद्धि और विद्या के देव माने जानें वाले हनुमान जी की जयंती भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण जगह रखती है। यह पर्व उन भक्तों के लिए विशेष होता है जो जीवन में भक्ति, शक्ति और साहस को महत्व देते हैं।