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भगवान अय्यप्पा हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जो विशेष रूप से केरल राज्य में पूजे जाते हैं। वे विष्णु और शिव के संयुक्त रूप माने जाते हैं। अय्यप्पा के बारे में कई कथाएं हैं, जो विभिन्न पौराणिक ग्रंथों और धार्मिक कथाओं में बताई जाती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय देवों और राक्षसों के बीच युद्ध हो रहा था। राक्षसों को पराजित करने के लिए भगवान विष्णु ने माया रूप में मोहिनी के रूप में अवतार लिया और भगवान शिव के साथ मिलकर अय्यप्पा को जन्म दिया। भगवान अय्यप्पा का जन्म एक दिव्य उद्देश्य से हुआ था ताकि वे राक्षसों का विनाश कर सकें और देवों की सहायता कर सकें। भगवान अय्यप्पा के पूजन का मुख्य स्थान शबरीमला मंदिर है, जो केरल राज्य के पठानमठिट्टा जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान अय्यप्पा का प्रमुख स्थल है। अब ऐसे में भगवान अय्यप्पा की पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
आपको बता दें, भगवान अय्यप्पा की पूजा विधिवत रूप से एक पुजारी द्वारा ही किया जाना चाहिए। पूजा में विभिन्न प्रकार के मंत्रों का जाप किया जाता है और हवन किया जाता है। भक्तों को 41 दिन का व्रत रखना होता है और उन्हें कुछ नियमों का पालन करना होता है।
भगवान अय्यप्पा की पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। उन्हें शिव और मोहिनी का अवतार माना जाता है। दक्षिण भारत में स्थित सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है। इस मंदिर में लाखों भक्त हर साल दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि भगवान अयप्पा की पूजा करने से शनि दोष का निवारण होता है। शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है और शनि दोष के कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। भगवान अयप्पा की पूजा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वे उन्हें जीवन में सफलता, सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। भगवान अयप्पा की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, भगवान अयप्पा की पूजा करने से व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।