नवीनतम लेख

आमलकी एकादशी पूजा विधि

Amalaki Ekadashi Puja Vidhi: आमलकी एकादशी पर इस विधि से करें आंवले के पेड़ की पूजा, दूर होगी सारी समस्या


फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है। प्रभु को खुश करने के लिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, आमलकी एकादशी का व्रत रखने से जातक की सभी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा विधि।



आमलकी एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 9 मार्च 2025 को सुबह 07 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और 10 मार्च 2025 को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च को ही रखा जाएगा।



आमलकी एकादशी व्रत पूजा विधि


  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें।
  • इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें।
  • इसके बाद विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करके आंवले का भोग लगाएं।
  • पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे कलश स्थापित करें। इसके बाद वृक्ष के पूजन के दौरान धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल और अक्षत आदि अर्पित करें और गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं।
  • आंवला एकादशी पर पूजा-पाठ के बाद कुछ देर आंवला वृक्ष के नीचे बैठने की सलाह दी जाती है। इस विशेष एकादशी पर ऐसा करना शुभ होता है।
  • संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें।
  • आमलकी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें।
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
  • पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें।
  • प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं।
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें।



करें इस मंत्र का जाप


आमलकी एकादशी के दिन विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा के दौरान आसन पर बैठकर ओम दामोदराय नमः, ॐ पद्मनाभाय नमः, या ॐ वैकुण्ठाय नमः इनमें से किसी एक मंत्र की कम से कम एक माला का जप करें। इससे आपके और आपके परिवार के ऊपर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहेगी।



विष्णु जी की आरती 


ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता। स्वामी तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।

श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।

आज अष्टमी की पूजा करवाउंगी: भजन (Aaj Ashtami Ki Pooja Karwaongi)

आज अष्टमी की पूजा करवाउंगी,
ज्योत मैया जी की पावन जगाउंगी।

माँ तू ही नज़र आये(Maa Tu Hi Nazar Aaye)

मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥

काल भैरव के 108 मंत्र

मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनाई जाती है, जिसे कालभैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले भगवान काल भैरव की पूजा का विधान है।

देव गुरु बृहस्पति की पूजा विधि?

हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है। उसी प्रकार, गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव का दिन होता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से बृहस्पति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।