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शाबर मंत्र क्यों पढ़ने चाहिए?

भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रतीक हैं शाबर मंत्र, जानें कब पढ़ने चाहिए और कहां पढ़ने चाहिए


शाबर मंत्र भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रतीक हैं, जो मनुष्य की समस्याओं को सहजता से हल करने के लिए बनाए गए। ये मंत्र संस्कृत के कठिन श्लोकों के विपरीत, क्षेत्रीय भाषाओं और बोली में रचे गए हैं, जिससे हर कोई इन्हें आसानी से पढ़ और उपयोग कर सकता है। शाबर मंत्रों की रचना मुख्य रूप से उन ऋषियों की सहायता के लिए हुई थी, जो साधना में विघ्न डालने वाली असुर शक्तियों से परेशान थे। तो आइए इस आलेख में शाबर मंत्रों के उपयोग और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


शाबर मंत्रों की रचना क्यों हुई?


शाबर मंत्रों की रचना की कहानी बेहद रोचक है। पौराणिक कथा के अनुसार, हिमालय की कंदराओं और घने वनों में तपस्या कर रहे ऋषियों को असुरों के उत्पात से बचाने के लिए भगवान शिव ने शाबर मंत्र प्रदान किए। असुर साधकों की साधना भंग करने के लिए मृत शरीर फेंकते, भयावह मायावी रूप धारण करते और हिंसात्मक प्रहार करते थे।


ऋषियों ने भगवान शिव से ऐसी शक्ति की प्रार्थना की, जिससे वे असुर शक्तियों से स्वयं रक्षा कर सकें। भगवान शिव, जो तंत्र-मंत्र-यंत्र के जनक हैं, ने शाबर मंत्रों की रचना की, जो न केवल असुरों से सुरक्षा प्रदान कर सकते थे बल्कि उन्हें परास्त करने में भी सक्षम थे।


शाबर मंत्रों की विशेषता और शक्तियां


आम भाषा में रचना: शाबर मंत्रों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये संस्कृत की जगह आम क्षेत्रीय भाषाओं में रचे गए हैं। इससे साधारण व्यक्ति भी इनका प्रयोग कर सकता है।

स्वयं सिद्ध मंत्र: अधिकतर शाबर मंत्र स्वयं सिद्ध होते हैं, अर्थात् इन्हें अलग से सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती।

प्राकृतिक ऊर्जा से जुड़ाव: ये मंत्र प्रकृति की शक्तियों से प्रेरित हैं, जिससे इनका उपयोग अधिक सहज हो जाता है।

तीव्र प्रभावशीलता: शाबर मंत्र शीघ्र परिणाम देने के लिए प्रसिद्ध हैं।


शाबर मंत्र के प्रकार और श्रेणियां


मंत्रों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।

1. सात्विक मंत्र: मोक्ष प्राप्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए उपयोगी।

2. राजसिक मंत्र: धन, यश, वैभव, और विलासिता प्राप्त करने हेतु।

3. तामसिक मंत्र: शक्ति प्राप्ति और नकारात्मक ऊर्जा से निपटने के लिए।

बता दें कि शाबर मंत्र तामसिक श्रेणी में ही आते हैं, क्योंकि ये सीधे शक्ति और समस्या समाधान से जुड़े हैं।


शाबर मंत्रों का प्रयोग कैसे और कब करें? 


1. समय: ग्रहण, पूर्णिमा या अमावस्या की रात इन मंत्रों को सिद्ध करने का उत्तम समय है। प्रतिदिन निष्ठा और नियमपूर्वक इन्हें जपने से भी लाभ प्राप्त होता है।

2. स्थान: शांत और पवित्र स्थान चुनें, जैसे कोई मंदिर, घर का पूजा स्थल, या प्रकृति से जुड़ा स्थान।


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