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षष्ठांशां प्रकृते: शुद्धां सुप्रतिष्ठाण्च सुव्रताम्।
सुपुत्रदां च शुभदां दयारूपां जगत्प्रसूम्।।
श्वेतचम्पकवर्णाभां रत्नभूषणभूषिताम्।
पवित्ररुपां परमां देवसेनां परां भजे।।
एक तमन्ना माँ है मेरी, दिल में बसा लूँ सूरत तेरी,
मेरे राम इतनी किरपा करना, बीते जीवन तेरे चरणों में ॥
मैया आरासुरी करजो आशा पूरी म्हारी अम्बे, हूँ तो विनती करूँ जगदम्बे,
हे राम भक्त हनुमान जी, मुझे ऐसी भक्ति दो,