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षष्ठांशां प्रकृते: शुद्धां सुप्रतिष्ठाण्च सुव्रताम्।
सुपुत्रदां च शुभदां दयारूपां जगत्प्रसूम्।।
श्वेतचम्पकवर्णाभां रत्नभूषणभूषिताम्।
पवित्ररुपां परमां देवसेनां परां भजे।।
तेरा दर मिल गया मुझको, सहारा हो तो ऐसा हो ॥
हिंदू धर्म में हर त्योहार और व्रत का विशेष महत्व है। इन्हीं त्योहारों में से एक है चंपा षष्ठी, जो भगवान शिव और उनके पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है।
सिंह चढी देवी मिले, गरूड़ चढे भगवान ।
जय सिया राम हे ! हे !..