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सावन के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न के लिए मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। एक ऐसा ही तीर्थ स्थल मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में है, जहां सावन माह के दौरान भक्तों का सैलाब उमड़ता है, वो भी इसलिए क्योंकि ये मंदिर सिर्फ सावन के महीने में 10-11 दिनों के लिए ही खोला जाता है। इसे मध्यप्रदेश का अमरनाथ भी कहा जाता है।
दरअसल, अमरनाथ से इसकी तुलना इसलिए की जाती है, क्योंकि यहां पहुंचने के लिए सात दुर्गम पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं, हम बात कर रहे हैं पंचमढ़ी में स्थित नागद्वारी मंदिर के बारे में। नागद्वारी का अर्थ होता है "नागों का द्वार"। ये मंदिर पंचमढ़ी की पहाड़ियों में स्थित भगवान शिव का एक मंदिर है। नागद्वारी मंदिर की यात्रा करने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 20 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पहाड़ियों पर सापों जैसे लहराते हुए रास्ते हैं, जिनकी यात्रा यात्रा करने से कालसर्प दोष का निवारण होता है। साथ ही ये भी कहा जाता है कि नागद्वारी में गोविंदगिरि पहाड़ी पर मुख्य गुफा में स्थित शिवलिंग पर काजल लगाने से मनोकामनाएं पूरी होती है। इस साल नागद्वारी मंदिर 1 अगस्त से खोला गया है जो 10 अगस्त तक खुला रहेगा। नागपंचमी के अवसर पर यहां मेले का भी आयोजन होता है, इस दौरान भक्तों की काफी भीड़ देखी जाती है।
नागद्वारी मंदिर को नागार्जुन की तपस्थली माना जाता है। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, नागार्जुन भगवान शिव के अवतार थे, जिन्होंने धरती पर अवतार लिया था ताकि वे लोगों को अध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति प्रदान कर सकें और वे लोगों को भगवान शिव के जैसा बना सकें। लेकिन कुछ अन्य पौराणिक कथाओं में नागार्जुन को एक महान ऋषि और तपस्वी माना गया है, जिन्होंने भगवान शिव की कृपा प्राप्त की थी और उनके जैसा बनने का प्रयास किया था। इन कथाओं में नागार्जुन को भगवान शिव का अवतार नहीं माना गया है, बल्कि उन्हें एक महान ऋषि और तपस्वी माना गया है। इसीलिए आज भी नागद्वारी मंदिर में नागार्जुन की तपस्या की याद में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। इसे भगवान शिव का दूसरा घर भी कहा जाता है। लोक मान्यता के अनुसार नागपंचमी पर जब नागद्वार के पट खोले जाते हैं, तो यहां एक साथ 12 सांप के जोड़े नजर आते हैं। शिव की इस नगरी में जब नागद्वारी की यात्रा शुरू होती है, तो भक्तों को अपना हर कदम फूंक-फूंक कर बढ़ाना होता है, क्योंकि यहां पग पग पर लाखों जहरीले सांप होते हैं।
नागद्वारी मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर पत्थर से बनाया गया है और इसमें एक विशाल गर्भगृह और एक ऊंचा शिखर है। नागद्वारी मंदिर की विशेषता यह है कि यहां भगवान शिव के अवतार नागर्जुन देव की पूजा की जाती है। मंदिर में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है, जो भगवान शिव का प्रतीक है। नागद्वारी में कई गुफाएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख गुफाएं हैं - नागद्वारी गुफा, महादेव गुफा, और गुप्त गुफा।
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