न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित होता है शनिवार, जानिए शनिवार व्रत कथा और महत्व
सनातन हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। शनिदेव को बहुत जल्दी क्रोध आता है, और इनके क्रोध से सभी बचने की कोशिश करते हैं। माना जाता है कि इनके क्रोध से व्यक्ति पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। इसलिए, इन्हें प्रसन्न करने के लिए शनिवार व्रत रखा जाता है। शनि दोष से बचने और उन्हें शांत रखने के लिए व्यक्ति अनेक उपाय करता है। शनि कृपा से व्यक्ति को सुख और वैभव की प्राप्ति होती है। जो लोग शनिवार का व्रत करते हैं, उनको पूजा के समय शनिवार व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।
शनिवार व्रत कथा
एक समय की बात है जब सभी नवग्रह—सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु—आपस में यह जानने के लिए विवाद करने लगे कि उन सभी में सबसे बड़ा कौन है। इसके समाधान के लिए वे देवराज इंद्र के पास पहुंचे। इंद्रदेव ने अपनी असमर्थता जताई और सुझाव दिया कि वे न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य के पास जाएं।
राजा विक्रमादित्य ने समस्या का समाधान खोजने के लिए नौ अलग-अलग धातुओं से नौ सिंहासन बनवाए और उन्हें इस क्रम में रखा: स्वर्ण, रजत, कांस्य, पीतल, सीसा, रांगा, जस्ता, अभ्रक, और लोहे का सिंहासन। उन्होंने सभी ग्रहों से कहा कि वे इन पर बैठें। जो ग्रह अंतिम सिंहासन पर बैठेगा, उसे सबसे छोटा माना जाएगा। शनिदेव को लोहे का सिंहासन मिला और वे सबसे छोटे घोषित हुए।
इससे शनिदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा से कहा, "तुमने मुझे छोटा साबित किया है, लेकिन तुम नहीं जानते कि मैं क्या कर सकता हूं। जब श्रीराम की साढ़े साती आई तो उन्हें वनवास मिला। जब रावण पर मेरी दशा आई, तो उसकी सोने की लंका नष्ट हो गई। अब देखो, जब तुम्हारी साढ़े साती आएगी तो क्या होता है!"
कुछ समय बाद राजा विक्रमादित्य की साढ़े साती आई। एक दिन एक सौदागर बनकर शनिदेव राजा के पास पहुंचे और उन्हें एक अद्भुत घोड़ा दिया। जैसे ही राजा ने घोड़े पर सवारी की, वह तेजी से भागते हुए उन्हें जंगल में ले गया और गायब हो गया। राजा भूखे-प्यासे जंगल में भटकने लगे। एक ग्वाले ने उन्हें पानी पिलाया, और प्रसन्न होकर राजा ने उसे अपनी अंगूठी दे दी।
राजा एक नगर पहुंचे और खुद को "उज्जैन का निवासी वीका" बताया। वहां के सेठ ने उन्हें अपने साथ रखा, लेकिन उसी दौरान एक हार गायब हो गया, और सेठ ने राजा को चोर समझकर सजा दिलवाई। राजा के हाथ-पैर काटकर उन्हें जंगल में फेंक दिया गया।
वहीं से एक तेली गुजर रहा था। उसने राजा को दया से अपनी गाड़ी में बिठा लिया। शनिदेव का कोप समाप्त होने पर राजा की किस्मत बदली। राजा ने गाने के लिए मल्हार का राग गाया, जिसे सुनकर उस नगर की राजकुमारी प्रभावित हुई। उसने राजा से विवाह की इच्छा जताई।
कुछ समय बाद, शनिदेव ने राजा के स्वप्न में आकर कहा, "राजन, मैंने तुम्हें अपने क्रोध का प्रभाव दिखाया है। अब तुम्हारे दुख समाप्त होते हैं। जो मेरी कथा सुनेगा और व्रत करेगा, उसे किसी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ेगा।" सुबह राजा के हाथ-पैर ठीक हो गए।
राजा विक्रमादित्य अपनी सच्चाई बताकर उज्जैन लौटे। वहां उन्होंने शनिदेव की महिमा का प्रचार किया और राज्यभर में शनिवार व्रत और कथा की परंपरा शुरू की।
शनिवार व्रत के लाभ और महत्व
शनिवार व्रत करने से व्यक्ति को शनि दोष से मुक्ति मिलती है। जो लोग चींटियों को आटा डालते हैं और शनिदेव की कथा सुनते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शनिदेव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।