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रूक्मिणी-श्रीकृष्ण के विवाह से जुड़ी कथा

शिशुपाल से तय हुआ था रुक्मिणी का विवाह, श्रीकृष्ण ने हरण करके की थी शादी 



पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो इस साल 22 दिसंबर को पड़ रही है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्म की याद में मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कहानी तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कृष्ण और राधा का कभी विवाह नहीं हुआ था।

इसके बजाय श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी से विवाह किया था जो उनकी पहली पत्नी थीं। रुक्मिणी ने कृष्ण को कभी नहीं देखा था लेकिन वह उन्हें बहुत चाहती थीं। यह एक अनोखी प्रेम कहानी है जिसमें प्रेम और समर्पण की भावना को देखा जा सकता है। रुक्मिणी की कथा बेहद रोचक है जिसमें उनके प्रेम और विवाह की कहानी शामिल है। आइए जानते हैं देवी रुक्मिणी की जन्म कथा और उनके प्रेम की अनोखी कहानी।

विदर्भ देश के राजा की पुत्री थी रुक्मिणी 


रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। वह एक सुंदर, बुद्धिमान और सरल स्वभाव की कन्या थीं। राजा भीष्मक के दरबार में आने वाले लोग अक्सर भगवान श्रीकृष्ण की साहसिक और बुद्धिमता की तारीफ करते थे। रुक्मिणी ने बचपन से ही कई लोगों के मुख से कृष्ण की प्रशंसा सुनी थी जिससे वह उन्हें चाहने लगी थीं। उनके मन में कृष्ण के प्रति एक गहरा आकर्षण और प्रेम पैदा हो गया था।

शिशुपाल से तय हुआ था रुक्मिणी का विवाह


राजा भीष्मक ने अपने पुत्र रुक्म के कहने पर रुक्मिणी का विवाह चेदिराज शिशुपाल से तय कर दिया था। रुक्म शिशुपाल का खास मित्र था इसलिए वह अपनी बहन का विवाह उससे कराना चाहता था। लेकिन रुक्मिणी की इच्छा कुछ और ही थी। वह श्रीकृष्ण से कभी नहीं मिली थीं, लेकिन उनके बारे में सुनकर वह उन्हें दिल से चाहती थीं। रुक्मिणी और शिशुपाल के विवाह की तारीख तय हो गई। रुक्मिणी के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं। वह सोचती थी कि कैसे वह शिशुपाल से विवाह कर सकती हैं जब उसका दिल तो श्रीकृष्ण के लिए धड़कता है। यह एक अनहोनी घटना की शुरुआत थी जिसमें रुक्मिणी के जीवन की दिशा बदलने वाली थी।

रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को भिजवाया एक अनोखा संदेश


रुक्मिणी ने अपने दिल की बात सुनाने का फैसला किया। उन्होंने ठान लिया कि वह विवाह सिर्फ श्रीकृष्ण से करेंगी, नहीं तो अपने प्राण त्याग कर देंगी। उन्होंने अपनी एक सखी के माध्यम से श्रीकृष्ण को एक अनोखा संदेश भिजवाया। संदेश में रुक्मिणी ने कहलवाया कि वह श्रीकृष्ण से प्रेम करती हैं और उनका विवाह शिशुपाल से तय हो गया है। अगर उनकी शादी कृष्ण से नहीं होगी तो वह प्राण त्याग देंगी। जैसे ही कृष्ण के पास संदेश पहुंचा वह चकित रह गए। द्वारिकाधीश ने भी रुक्मिणी की सुंदरता और बुद्धिमत्ता के बारे में बहुत सुन रखा था।

ऐसे हुआ श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह 


संदेश मिलते ही श्रीकृष्ण ने विदर्भ की ओर प्रस्थान किया। जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आया, तो कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया। यह एक रोमांचक पल था जिसमें कृष्ण ने अपने प्रेम को पाने के लिए साहस दिखाया। रुक्मिणी के भाई रुक्म को जब पता चला तो वह अपने सैनिकों के साथ कृष्ण के पीछे गए। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें द्वारिकाधीश विजयी हुए। इसके बाद श्रीकृष्ण रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए और दोनों ने विवाह कर लिया।
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