परशुराम को क्यों करनी पड़ी थी अपनी मां की हत्या, जानिए इस घटना के पीछे की कथा
भगवान परशुराम, जिन्हें भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है, वह पौराणिक कथाओं में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अत्यधिक चर्चित व्यक्ति हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान परशुराम ने अपनी मां की हत्या की थी, जिससे वह आज्ञाकारी पुत्र और धर्म के रक्षक के रूप में प्रसिद्ध हुए, लेकिन आज भी इस कार्य पर कई प्रश्न उठते हैं।
मां रेणुका और पिता जमदग्नि के पुत्र हैं परशुराम
भगवान परशुराम के पिता का नाम ऋषि जमदग्नि था, जो एक महान तपस्वी और धर्म पर चलने वाले ऋषि थे, और उनकी माता का नाम रेणुका था, जो राजा प्रसेनजित की पुत्री थीं। ऐसा कहा जाता है कि परशुराम की माता अत्यंत पतिव्रता और तपस्विनी मानी जाती थीं। साथ ही, परशुराम के चार बड़े भी भाई थे, जिनका नाम रुक्मवान, सुषेण, वसु और विश्वावसु था।
माता रेणुका ने देखा था राजा चित्ररथ
एक दिन, जब परशुराम के चारों बड़े भाई अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे, तब माता रेणुका सरोवर में स्नान करने गईं। वहां उन्होंने राजा चित्ररथ को जल में घूमते हुए देखा। इस दृश्य को देखकर उनके मन में क्षण भर के लिये विकार उत्पन्न हुआ, जिससे उनकी तपस्या की शक्ति क्षीण हो गई। फिर जब वह आश्रम लौटीं, तो ऋषि जमदग्नि ने अपनी दिव्य दृष्टि से यह सब देख लिया और अत्यन्त क्रोधित हो गए।
पिता जमदग्नि ने दिया था अपने चारों बेटों को श्राप
इस बात से अत्यन्त क्रोधित होकर ऋषि जमदग्नि ने अपने चारों पुत्रों को माता रेणुका का वध करने का आदेश दिया, लेकिन सभी भाइयों ने इसे अस्वीकार कर दिया। इससे क्रोधित होकर ऋषि ने उन्हें श्राप देकर उनकी बुद्धि नष्ट कर दी। उस समय परशुराम आश्रम लौटे और पिता के आदेश का पालन करते हुए, उन्होंने अपनी माता का वध कर दिया। भगवान परशुराम को आज्ञा का पालन करते देख, ऋषि जमदग्नि प्रसन्न हुए और उन्होंने परशुराम को तीन वरदान मांगने को कहा।
भगवान परशुराम ने तीन वरदान में माता रेणुका का पुनर्जीवन मांगा तथा अपने चारों भाइयों की बुद्धि की पुनः प्राप्ति मांगी और स्वयं के लिये अजेय और दीर्घायु होने का आशीर्वाद मांगा। फिर ऋषि जमदग्नि ने इन तीनों वरदानों को स्वीकार कर लिया, जिससे माता रेणुका पुनर्जीवित हो गईं और उनका परिवार एक बार फिर से एकजुट हो गया।