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हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र पर्व है। इस दिन भक्तगण शिवलिंग की पूजा और व्रत करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत और कथा सुनने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक माना जाता है। साथ ही यह कठिन परिस्थितियों और बाधाओं को दूर करने का माध्यम है। तो आइए इस आलेख में मासिक शिवरात्रि व्रत कथा और इसके महत्व को विस्तार से जानते हैं।
सनातन धर्म में मासिक शिवरात्रि व्रत और कथा का विशेष स्थान है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि-विधान से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को कई प्रकार के लाभ भी प्राप्त होते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में चित्रभानु नामक एक शिकारी अपने परिवार का पालन-पोषण शिकार करके करता था। एक बार वह कर्ज में डूब गया और साहूकार ने उसे बंदी बना लिया। संयोगवश उस दिन महाशिवरात्रि का ही दिन था। चित्रभानु को शिव मठ में रखा गया जहां उसने शिवरात्रि की कथा सुनी।
अगले दिन साहूकार ने उसे जंगल में छोड़ दिया। वहां चित्रभानु भूख और प्यास से व्याकुल हो गया और एक बेल के पेड़ के नीचे शरण ली। उसे ज्ञात नहीं था कि वहां एक शिवलिंग स्थापित है।
रात को भूख-प्यास के कारण वह पेड़ की टहनियां तोड़कर नीचे गिराता रहा, जो संयोगवश शिवलिंग पर गिर गईं। इस प्रकार उसने अनजाने में शिवलिंग की पूजा कर ली।
मध्य रात्रि में जब वह एक गर्भवती हिरणी का शिकार करने लगा, तो हिरणी ने उससे अपने जीवन की भीख मांगी। दया के भाव से उसने उसे छोड़ दिया। इस घटना ने उसके हृदय को झकझोर दिया और वह शिव भक्ति में लीन हो गया।
अगली सुबह जब वह शिव मठ लौटा तो साहूकार ने उसका कर्ज भी माफ कर दिया। भगवान शिव की कृपा से उसका जीवन बदल गया। उसने शिकार करना छोड़ दिया और भगवान शिव का भक्त बन गया।
मासिक शिवरात्रि पर व्रत कथा सुनना अत्यंत फलदायी माना गया है। इस कथा को सुनने से भक्त को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं जो इस प्रकार हैं।