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गुप्त नवरात्रि कथा

Gupta Navratri katha: जानिए क्या है गुप्त नवरात्रि की पौराणिक कथा और इसका महत्त्व   


2025 में उदयातिथि के अनुसार, 30 जनवरी 2025 को माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी और 7 फरवरी 2025 को गुप्त नवरात्रि का समापन होगा। ऐसे में माघ गुप्त नवरात्र की शुरुआत 30 जनवरी से होगी। गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का महत्व होता है जिन्हें गुप्त रूप से किया जाता है। इसलिए, यह गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं। इसमें अघोरी तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं को सिद्ध करने लिए विशेष पूजा करते है साथ ही यह मोक्ष की कामना के लिए भी यह महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दौरान गुप्त नवरात्रि कथा का पाठ करना शुभ फलदायी माना जाता है। 


गुप्त नवरात्रि कथा 


पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ऋषि श्रृंगी अपने भक्तों को दर्शन दे रहे थे कि तभी अचानक से भीड़ से एक स्त्री निकलकर सामने आई। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी से कहा कि मेरे पति हमेशा गलत कामों से घिरे रहते हैं जिस वजह से मैं ना तो पूजा-पाठ कर पाती हूं और ना ही धर्म और भक्ति से जुड़ा कोई कार्य कर पाती हूं। लेकिन मैं मां दुर्गा की उपासना करना चाहती हूं। 


तब ऋषि श्रृंगी ने महिला से कहा कि चैत्र और शारदीय नवरात्रों को तो सभी लोग जानते हैं। हालांकि, इसके अतिरिक्त 2 अन्य नवरात्रि भी होते हैं जिन्हें गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

ऋषि ने स्त्री को बताया जहां प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना किए जाने का विधान है। 


धार्मिक मान्यता है कि इन गुप्त नवरात्रि में जो भी भक्त माता दुर्गा की विधि विधान पूजा करता है उनके जीवन में सुख-समृद्धि सदैव बनी रहती है। ऋषि श्रृंगी आगे कहते हैं कि लोभी, कामी, मांसाहारी और पूजा-पाठ न कर वाला भी यदि गुप्त नवरात्रि में माता की विधि विधान पूजा करता है तो उसे भी इस जीवन में कुछ करने की जरूरत नहीं होती। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी की बातों को पूर्ण श्रद्धा से सुनकर गुप्त नवरात्रि की विधि विधान पूजा की। जिसके बाद से उनके जीवन में सुख-शांति आ गई और उसका पति भी गलत रास्ते से सही रास्ते पर लौट आया। 


जानिए गुप्त नवरात्रि का महत्व 


गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा का फल प्रत्यक्ष नवरात्रि की पूजा से ज़्यादा मिलता है। इस नवरात्रि में तंत्र साधनाओं का विशेष महत्व होता है। साथ ही गुप्त नवरात्रि में अघोरी और तांत्रिक गुप्त महाविद्याओं की पूजा की जाती है। साथ ही इस नवरात्रि में मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं की पूजा करके उन्हें सिद्ध किया जाता है।


चुप-चाप होती है ये दिव्य पूजा  


इस नवरात्र में मातारानी की पूजा करने वाला इसे ना तो किसी को बताता है और ना ही इसमें किसी की सहायता ली जाती है। इसी कारण मातारानी की पूजा करने का फल भी अधिक मिलता है। मनचाहा फल मिलता है। खास बात ये है कि प्रत्येक महाविद्या अपने स्वरूप के अनुसार भक्तों को फल प्रदान करती है।


इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

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