नवीनतम लेख

भगवान गणेश को क्यों कहते हैं बुद्धि के दाता

Lord Ganesha Story: जानिए भगवान गणेश को क्यों कहा जाता है बुद्धि के दाता, जानिए क्या है इससे जुड़ी कथा 

संकष्टी चतुर्थी को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के दाता भी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर भक्त गणेश जी का व्रत रखते हैं और विधिवत रूप से पूजा कर फिर प्रार्थना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

भगवान गणेश ने दिया था एक साहूकार को पुत्र का वरदान

गणेश पुराण के अनुसार, एक साहूकार और उसकी पत्नी को लंबे समय तक संतान नहीं हो रहा था, तो उन्होंने संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा और भगवान गणेश की पूजा की। फिर उनकी श्रद्धा और आस्था से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उन्हें पुत्र का वरदान दिया। इससे दोनों पति-पत्नी बहुत खुश हुए और भगवान गणेश को बहुत धन्यवाद दिया। यह कथा हमें दर्शाती है कि बप्पा अपने भक्तों की प्रार्थनाएं अवश्य सुनते हैं।

भगवान गणेश ने रणनीति से किया था असुरों का संहार 

स्कंद पुराण के गणेश खंड के अनुसार, एक बार सभी देवता एक भीषण संकट में फंस गए थे, जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव से सहायता मांगी। फिर शिवजी ने गणेश जी को संकट से उबारने के लिए भेजा और गणेश जी ने अपनी बुद्धि तथा रणनीति से देवताओं की रक्षा की और उन्हें मुसीबत से बाहर निकाला। इस कहानी से यह सिद्ध होता है कि भगवान गणेश संकटमोचन भी हैं।  

पापों को हरते हैं भगवान गणेश 

गणेश पुराण के अनुसार, एक बार भगवान शिव और मां पार्वती चौपड़ खेल रहे थे और निर्णय देने के लिए उन्होंने एक मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसमें प्राण डाला, जो एक बाल बन गया। फिर उस बालक ने भूलवश माता पार्वती को हार मान लिया, जिससे मां पार्वती क्रोधित हो गईं और उस बालक को श्राप दे दिया। तब उस बालक ने संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया और भगवान गणेश की कृपा से उसे श्राप से मुक्ति मिल गई। यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान गणेश सभी को क्षमा कर पापों से मुक्ति करते हैं। 


जो खेल गये प्राणो पे, श्री राम के लिए (Jo Khel Gaye Parano Pe Bhajan)

जो खेल गये प्राणो पे, श्री राम के लिए,
एक बार तो हाथ उठालो,

दुर्गा पूजा पुष्पांजली

प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी ।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥ Pratham Puspanjali Mantra
om jayanti, mangla, kali, bhadrakali, kapalini .
durga, shiva, kshama, dhatri, svahaa, svadha namo̕stu te॥
esh sachandan gandh pusp bilva patranjali om hrim durgaye namah॥

नकद-तिजोरी पूजा विधि

हर व्यक्ति चाहता है कि उसका घर धन-धान्य से भरा रहे। इसके लिए वे नकद और तिजोरी की पूजा करते हैं। भारतीय परंपरा में नकद और तिजोरी धन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।

कृष्ण जिनका नाम है (Krishna Jinka Naam Hai Gokul Jinka Dham Hai)

कृष्ण जिनका नाम है,
गोकुल जिनका धाम है,