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हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। यूं तो हिमाचल प्रदेश में अनेक मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ अपने इतिहास और मान्यताओं की वजह से बेहद खास हैं। ऐसा ही एक खास और पुराना मंदिर है, हाटू माता मंदिर। शिमला के नारकंडा से कुछ ही दूरी पर हाटू माता मंदिर स्थित है।
मंदिर के इतिहास और स्थापना को रामायण और महाभारत काल से जोड़ा जाता है। यह पहाड़ की ऊंची चोटी पर स्थित है और बर्फबारी के दौरान यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है। हजारों लोगों की आस्था का केंद्र यह मंदिर। मंदिर के निर्माण में अधिकतर लकड़ियों का इस्तेमाल किया गया है। अपनी ऊँचाई के कारण, मंदिर से आसपास के पहाड़ों का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। बता दें कि हाटू माता मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।
हाटू माता मंदिर को लेकर मान्यता है कि मंदिर का निर्माण रावण की पत्नी मंदोदरी ने करवाया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मां हाटू की परम भक्त थीं। मंदोदरी अक्सर यहां माता के दर्शन और पूजा करने के लिए आया करती थी। हालांकि, हाटू माता का मंदिर लंका से बेहद दूर है।
मंदिर के इतिहास को रामायण के साथ-साथ महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है। हाटू माता मंदिर को लेकर एक और कहानी भी प्रचलित है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां एक लंबा समय बिताया था। मान्यता है कि उन्होंने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए यहां माता की तपस्या की थी। मंदिर के पास मौजूद 3 चट्टानों को लोग भीम का चूल्हा कहते हैं। यहां खुदाई करने पर आज भी जला हुआ कोयला निकलता है। ऐसा माना जाता है कि पांडव यहां खाना बनाया करते थे।
हाटू माता मंदिर तक पहुँचने का सबसे आसान तरीका कार से सफर करना है। आप अपनी खुद की कार ले सकते हैं या नारकंडा में एक कार किराए पर ले सकते हैं। नारकंडा से हाटू पीक की दूरी केवल 8 किमी है और इसमें 20 से 25 मिनट लगेंगे। मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के मौसम के अंत में कुछ बर्फ देखने के लिए या वसंत से पतझड़ के मौसम में जाना है।
समय : सुबह 8 बजे शाम 6 बजे तक
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