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बाबा बालकनाथ मंदिर, पानीपत के कवि गांव में 151 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह राज्य में सबसे ऊंचे शिव मंदिर के रुप में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बाबा बालक नाथ द्वारा करवाया गया था। इसकी नींव 21 फरवरी 1997 में रखी गई थी। बाबा बालकनाथ और गांव के लोगों के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इस मंदिर में भगवान शिव का विशाल शिवलिंग स्थापित किया गया है।
गांव के लोगों का मानना है कि बाबा बालक नाथ में ऐसी शक्ति थी कि जिसे भी वह आशीर्वाद देते थे उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती थी। मान्यता है कि बाबा बालक नाथ के आशीर्वाद से आसपास के गांवों की हजारों महिलाओं को संतान की भी प्राप्ति हुई। गांव के लोग बताते हैं कि बाबा बालक नाथ की चमत्कारी भस्म से बांझ महिलाओं की गोद भर जाती है।
बाबा बालक नाथ मंदिर की वास्तुकला शिखर शैली में है, जो उत्तर भारतीय मंदिरों की विशेषता है। मंदिर की निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाता है। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर जटिल नक्काशी की गई है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाती है। इसके साथ ही मंदिर में विशाल मंडप है, जो श्रद्धालुओं के लिए पूजा और आरती की व्यवस्था करता है। इस मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
बाबा बालक नाथ मंदिर में कई त्यौहार और उत्सव मनाए जाते हैं। लेकिन सबसे खास है बालकनाथ जयंती। बाबा बालकनाथ जी महाराज क जन्मदिन के रुप में इसे मनाया जाता है, जो हिदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को होता है। अलग-अलग त्यौहार के दौराम मंदिर में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
हवाई मार्ग - यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है।एयरपोर्ट से आप पानीपत जाने के लिए कैब या स्थानीय परिवहन सुविधा ले सकते हैं।
रेल मार्ग - यहां के लिए आप पानीपत रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं। वहां ऑटो-रिक्शा या कैब लेकर मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग - दिल्ली, चंडीगढ़, या अन्य आसपास के शहरों से पानीपत के लिए कई बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
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