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विद्या आरंभ मुहूर्त मई 2025

Apr 28 2025

May 2025 Vidyarambh Muhurat: मई में करना चाहते हैं बच्चे का विद्यारंभ संस्कार? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र


एक बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है जो उसके भविष्य को आकार देता है। यह संस्कार भारतीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है, जहां ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और शुभ योगों का ध्यान रखा जाता है ताकि बच्चे की शिक्षा और जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। बच्चे के जीवन में और भी कई महत्वपूर्ण संस्कार और अनुष्ठान होते हैं लेकिन विद्यारंभ संस्कार का अपना अलग महत्व है।

विद्यारंभ संस्कार बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है जो उसके भविष्य को आकार देता है। विद्यारंभ समारोह में बच्चे को पढ़ाई की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया जाता है। लेकिन इससे पहले कि वह अपनी शिक्षा यात्रा शुरू करे, एक शुभ मुहूर्त का चयन किया जाना बहुत जरूरी होता है। बच्चे की कुंडली के आधार पर गणना की जाती है। ऐसे में इस लेख में हम आपको मई 2025 में विद्यारंभ के मुहूर्त के बारे में बताएंगे।


मई 2025 के लिए विद्यारंभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, विद्यारंभ के लिए 1,2,14,18,19 और 23 मई 2025 जैसी तारीखें चुन सकते हैं। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं- 

1. 1 मई 2025

- समय: दोपहर 02:20 बजे से 06:50 बजे तक

- नक्षत्र: मृगशिरा

2. 2 मई 2025

- समय: सुबह 05:58 बजे से 06:50 बजे तक

- नक्षत्र: आर्द्रा

3. 14 मई 2025

- समय: सुबह 06:35 बजे से 11:45 बजे तक

- नक्षत्र: अनुराधा

4. 18 मई 2025

- समय: शाम 06:58 बजे से 07:01 बजे तक

- नक्षत्र: उत्तराषाढ़ा

5. 19 मई 2025

- समय: सुबह 05:48 बजे से 06:10 बजे तक

- नक्षत्र: श्रवण

6. 23 मई 2025

- समय: शाम 04:10 बजे से 07:00 बजे तक

- नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद


विद्यारंभ के लिए शुभ नक्षत्र

विद्यारंभ के लिए कई नक्षत्र शुभ माने जाते हैं, जिनमें कुछ प्रमुख नक्षत्र रेवती, अश्विनी, पुनर्वसु और पुष्य हैं। इसके अतिरिक्त माघ शुक्ल पंचमी तिथि को भी बच्चों की शिक्षा आरंभ करने के लिए उत्तम माना गया है, क्योंकि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। 


विद्यारंभ संस्कार का महत्व

विद्यारंभ संस्कार भारतीय संस्कृति और परंपरा में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह बच्चे की शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह बच्चे के जीवन में ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में पहला कदम होता है, जो उसके भविष्य को आकार देता है। इसके अलावा:

  • यह बच्चे की शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक होता है।
  • यह बच्चे के जीवन में ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में पहला कदम होता है।
  • यह बच्चे के भविष्य को आकार देता है।
  • यह बच्चे के जीवन में ज्ञान और बुद्धिमत्ता की वृद्धि के लिए देवी सरस्वती की पूजा का अवसर प्रदान करता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।