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जनेऊ संस्कार शुभ मुहूर्त फरवरी 2025

Jan 24 2025

फरवरी 2025 में करना चाहते हैं उपनयन संस्कार? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र

 
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से  10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है। उपनयन शब्द का अर्थ है "अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना"। यह संस्कार बालक को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। मान्यताओं के अनुसार उपनयन संस्कार के बाद ही बालक धार्मिक कार्यों में भाग ले सकता है। उपनयन संस्कार के दौरान बालक को एक पवित्र धागा धारण कराया जाता है जिसे जनेऊ कहा जाता है। जनेऊ को पुरुष अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहनते हैं।  इसमें तीन सूत्र होते हैं, जो त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश से जुड़े होते हैं। ऐसे में जनेऊ की शुद्धता का काफी ध्यान रखा जाता है। अशुद्ध होने या भी खो जाने की स्थिति में नया जनेऊ धारण करना चाहिए।  जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसे में अगर आप भी जनेऊ धारण या उपनयन संस्कार करना या किसी के लिए करवाने के लिए सोच रहे हैं तो उपनयन मुहूर्त फरवरी 2025 के बारे में इस लेख में विस्तार से जानकारी दी गई है। 

फरवरी नामकरण संस्कार शुभ मुहूर्त 2025


पंचांग के अनुसार, 1, 2, 7, 8, 9, 14, और 17 फरवरी की तिथियां शुभ मानी गई हैं। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं- 

  • 1 फरवरी 2025, शनिवार, जनेऊ संस्कार मुहूर्त: सुबह 07:40 से सुबह 09:48, सुबह 11:13 से दोपहर 12:48 बजे तक।
  • 2 फरवरी 2025, रविवार, जनेऊ संस्कार मुहूर्त: दोपहर 12:44 से रात 07:15 बजे तक।
  • 7 फरवरी 2025, शुक्रवार, जनेऊ संस्कार मुहूर्त: सुबह 07:37 से सुबह 07:57, सुबह 09:24 से दोपहर 02:20, शाम 04:35 से शाम 06:55 बजे तक।
  • 8 फरवरी 2025, शनिवार, जनेऊ संस्कार मुहूर्त: सुबह 07:36 से सुबह 09:20 बजे तक।
  • 9 फरवरी 2025, रविवार, जनेऊ संस्कार मुहूर्त: सुबह 07:35 से सुबह 09:17, सुबह 10:41 से शाम 04:27 बजे तक।
  • 14 फरवरी 2025, शुक्रवार, जनेऊ संस्कार मुहूर्त: सुबह 07:31 से दोपहर 11:57, दोपहर 01:53 से शाम 06:28 बजे तक।
  • 17 फरवरी 2025, सोमवार, जनेऊ संस्कार मुहूर्त: सुबह 08:45 से दोपहर 01:41, दोपहर 03:55 से शाम 06:16 बजे तक।

उपनयन संस्कार का महत्व 


जनेऊ हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। इसके तीन धागे त्रिमूर्ति के साथ-साथ देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं। जनेऊ की विशेषता यह है कि यह जीवन के विभिन्न आयामों को जोड़ता है। यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है जो जीवन के तीन मुख्य गुणों को दर्शाता है। साथ ही यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है जो जीवन के तीन मुख्य उद्देश्यों को दर्शाता है। जनेऊ की प्रत्येक जीवा में तीन तार होते हैं जो कुल नौ तारों का निर्माण करते हैं। 

यह जीवन के नौ मुख्य तत्वों को दर्शाता है जो हमारे जीवन को समृद्ध बनाते हैं। जनेऊ में पांच गांठें रखी जाती हैं जो जीवन के पांच मुख्य उद्देश्यों को दर्शाती हैं। यह ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती है जो जीवन के पांच मुख्य आयामों को दर्शाती हैं। जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है जो जीवन के 96 मुख्य तत्वों को दर्शाती है। यह हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन्हें संतुलित करने के लिए प्रेरित करती है।

उपनयन संस्कार क्यों किया जाता है? 


  • उपनयन संस्कार लड़के को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह संस्कार लड़के को ज्ञान और शिक्षा की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • उपनयन संस्कार लड़के को जिम्मेदारी और कर्तव्य की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह संस्कार लड़के को पवित्र और शुद्ध जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • उपनयन संस्कार लड़के को समाज में सम्मान और स्थान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।