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सनातन हिंदू धर्म में कुंभ स्नान को अत्यधिक पवित्र और धार्मिक महत्व प्राप्त है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन होने जा रहा है। कुंभ मेला हर 12 साल के अंतराल पर आयोजित किया जाता है। भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में इसका आयोजन होता है।
जहां एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार प्रयागराज में महाकुंभ मेले की भव्य तैयारियों में जुटी हुई है, वहीं मध्य प्रदेश सरकार उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ के आयोजन के लिए पहले से ही अपनी तैयारियों में सक्रिय हो चुकी है। नई सड़के तैयार की जा रही है। चलिए आपको उज्जैन सिहस्थ से जुड़ी और जानकारियों के बारे में बताते हैं।
उज्जैन में हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित होता है। पिछले कुंभ का आयोजन 2016 में हुआ था। वहीं अगला सिंहस्थ कुंभ मेला 2028 में होगा। यह मेला 27 मार्च से 27 मई 2028 तक चलेगा, जिसमें 9 अप्रैल से 8 मई तक 3 शाही स्नान और 7 पर्व स्नान होंगे। सरकार का अनुमान है कि इस बार करीब 14 करोड़ श्रद्धालु महाकाल की नगरी उज्जैन आएंगे।
उज्जैन, मध्य भारत के मालवा क्षेत्र में स्थित, एक प्राचीन और धार्मिक नगर है। 18वीं शताब्दी में नासिक-त्र्यंबकेश्वर कुंभ मेले से प्रेरित होकर यहां पहली बार कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। उज्जैन को हिंदू धर्म की सात पवित्र नगरियों (सप्त पुरियों) में शामिल किया गया है। यह नगरी महर्षि संदीपनी के आश्रम के लिए प्रसिद्ध है, जहां भगवान कृष्ण, सुदामा और बलराम ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला, और देवताओं और राक्षसों के बीच संघर्ष के दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं। इन स्थानों को अमृत की बूंदों ने पवित्र बना दिया, और इसी कारण इन चार स्थानों पर हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। यह मेला मोक्ष की प्राप्ति के लिए स्नान, दान, जप, तप और पूजा-पाठ का महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है।
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