नवीनतम लेख

शिव जी को क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी?

Nov 21 2024

भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाई जाते तुलसी के पत्ते, जानिए इसकी पीछे जुड़ी हुई कथा 


प्राचीन काल से ही हिंदुओं के घर आंगन में तुलसी का पौधा उगाया जाता है। तुलसी का आयुर्वेदिक और धार्मिक महत्व हमारे वेदों पुराणों में वर्णित है। तुलसी भगवान विष्णु को अति प्रिय है। लक्ष्मी स्वरूपा तुलसी से भगवान ने शालिग्राम स्वरूप में विवाह किया है। इसके अलावा भी सभी देवी देवताओं को तुलसी चढ़ाने की परंपरा है। लेकिन इन सब के इतर हिंदू धर्म के सबसे बड़े देवताओं में से एक त्रिदेव में शामिल भगवान शिव की पूजा में तुलसी निषेध हैं। तो आइए जानते हैं देवाधिदेव महादेव भगवान शिव को तुलसी क्यों नहीं अर्पण करना चाहिए?


पौराणिक कथा में वर्णित है इसका रहस्य


कथा के अनुसार पूर्व जन्म में तुलसी जालंधर नाम के एक राक्षस की पत्नी थी और इस जन्म में उसका नाम वृंदा था। जालंधर भगवान शिव का ही अंश था। लेकिन अपने बुरे कर्मों के फलस्वरूप उसका जन्म राक्षस कुल में हुआ। परम पराक्रमी और बलवान असुरराज जालंधर घमंड में चूर होकर प्रजा पर अत्याचार करता था।

 

उसकी पत्नी वृंदा एक पतिव्रता स्त्री थी। जिसके प्रताप के कारण देवताओं की शक्तियां भी उस राक्षस के आगे कमजोर पड़ जाती थी और वह सुरक्षित रहता था। ऐसे में जालंधर के संहार के लिए वृंदा का पतिव्रत धर्म खत्म करना जरूरी था। तभी असुरराज जालंधर के बढ़ते अत्याचारों को रोकने और संसार से पापाचार को मिटाने के लिए भगवान विष्णु ने राक्षस जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग किया। वृंदा का पतिव्रता धर्म नष्ट होने के बाद भगवान शिव ने राक्षस राज जालंधर का वध कर दिया। जब वृंदा को यह असलियत पता चली तो उसने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया।


वृंदा के श्राप से नाराज विष्णु जी ने जनकल्याण की बात कहते हुए जालंधर का वध करना उचित ठहराया और वृंदा को श्राप दिया कि वो लकड़ी बन जाए। तभी से ऐसा कहा जाता है कि तुलसी श्रापित हैं और शिव जी के द्वारा उनके पति का वध हुआ था। इसलिए शिव पूजन में तुलसी वर्जित है।

एक और कथा के अनुसार, तुलसी भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की पत्नी हैं और उनकी विष्णु जी के साथ पूजा की जाती है। इसलिए भी विष्णु प्रिय तुलसी को शिव जी को अर्पित करने की मनाही है।


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने