क्या है श्राद्ध करने के पीछे का विज्ञान, कैसे तर्पण से मिलती है पितरों की आत्मा को शांति.
एक अनकही कहानी, एक अनसुनी पुकार, एक अनदेखी दुनिया का रहस्य... जो आपको अपने पूर्वजों के साथ जोड़ता है, जो आपको अपने अतीत के साथ मिलाता है, जो आपको अपने वर्तमान को सुधारने का मौका देता है... यह है श्राद्ध की कहानी, एक ऐसा कर्म जो आपको अपने पितरों के साथ जोड़ता है और उनकी कृपा पाने में सहायक होता है। हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पितृ पक्ष आते हैं। पितृ पक्ष एक ऐसा समय है जब हम अपने पूर्वजों की याद में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पितृपक्ष 16 दिनों के होते हैं। इस समय में पितरों का पिडंदान, तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। लेकिन आपके मन में सवाल जरूर आता होगा कि श्राद्ध क्या है? श्राद्ध क्यों करें? श्राद्ध की क्या आवश्यकता है और श्राद्ध करने का सही विधान क्या है? इसलिए भक्तवत्सल के इस आर्टिकल में आपको मिलेगा इन सभी सवालों का जवाब वो भी एक दम सरल शब्दों में और सनातन संस्कृति के जानें माने विद्वानों से चर्चा करने के बाद …….
श्राद्ध क्या होता है?
श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान किया जाने वाला एक विशेष कर्म है। जिसका अर्थ है "श्रद्धा से किया गया कर्म"। इस दौरान श्रद्धापूर्वक पितरों को भोजन, अन्न, तिल, कुश और जल दिया जाता है। जिसे श्राद्ध कहा जाता है। श्राद्ध कर्म पितृऋण चुकाने का सरल और सहज रास्ता है। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्ष भर प्रसन्न रहते हैं। श्राद्ध कर्म से व्यक्ति केवल अपने पूर्वजों को ही नहीं, बल्कि ब्रह्ना से सभी प्राणियों व जगत को तृप्त करता हैं।
क्यों किया जाता है श्राद्ध
श्राद्ध करना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाता है। जब हम श्राद्ध करते हैं, तो हम अपने पूर्वजों को यह बताते हैं कि हम उन्हें याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। श्राद्ध करने से हमारे जीवन में सुख और समृद्धि आती है और हमारे पूर्वज संतुष्ट होते हैं।
1. पितरों की तृप्ति: श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और वे शांति प्राप्त करते हैं।
2. पितरों का आशीर्वाद: श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो हमारे जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।
3. कर्तव्य पालन: श्राद्ध करना हमारा कर्तव्य है, जो हमें अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता की भावना से भर देता है।
4. पारंपरिक परंपरा: श्राद्ध करना एक पारंपरिक परंपरा है, जो हमें अपने पूर्वजों के साथ जोड़ती है और हमारी संस्कृति को बनाए रखती है।
5. आत्मा की शांति: श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं।
6. वंशजों के लिए कल्याण: श्राद्ध करने से वंशजों के लिए कल्याण होता है और उनके जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
7. पापों की क्षमा: श्राद्ध करने से हमारे पाप क्षमा होते हैं और हमें पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है।
8. पितरों की याद: श्राद्ध करने से हम अपने पितरों को याद करते हैं और उनकी आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
श्राद्ध नहीं किया तो क्या होगा?
हमारे धर्मशास्त्रों में श्राद्ध करने के कई फायदे बताए गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध ना करना हमारे जीवन को कितना प्रभावित करता हैं, नीचे प्वाइंट्स में समझें श्राद्ध ना करने से किन तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है...
1. पितरों की आत्मा को कष्ट: श्राद्ध न करने से पितरों की आत्मा को कष्ट होता है और वे शांति प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
2. पारिवारिक समस्याएं: श्राद्ध न करने से पारिवारिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि कलह, दरिद्रता और बीमारियां।
3. पापों का बोझ: श्राद्ध न करने से हमारे ऊपर पापों का बोझ बढ़ता है और हमें पुनर्जन्म के चक्र में फंसने का खतरा होता है।
4. सुख-समृद्धि की कमी: श्राद्ध न करने से हमारे जीवन में सुख-समृद्धि की कमी हो सकती है और हमें आर्थिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
5. पूर्वजों की नाराजगी: श्राद्ध न करने से पूर्वजों की नाराजगी हो सकती है और वे हमें आशीर्वाद नहीं देते हैं।
श्राद्ध न करने के नुकसान को ऐसे समझा जा सकता है कि जिस प्रकार जब घर में हमारे पिता या कोई बड़ा हमसे क्रोधित या रूठे हुआ होता है तो वो न तो हमारी बात मानता है और ना ही हमसे ठीक तरह से व्यवहार करता है। उसी प्रकार पितृ हमारे पूर्वज होते हैं और घर के बड़े भी, जब उनकी आत्मा तृप्त नहीं होती और वे हमसे खुश नहीं होते तो उनका आशीर्वाद हमको नहीं मिल पाता, जिससे हमारी मेहनत उतना अच्छा परिणाम नहीं देती जितने के हम हकदार हैं।
श्राद्ध पक्ष को लेकर भक्तवत्सल ने कई लेख पब्लिश किए हैं, जो आपको पितृपक्ष की बेसिक जानकारी से लेकर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे, इसलिए भक्तवत्सल के ज्ञानगंगा ऑप्शन में जाकर पितृपक्ष के सभी लेख जरूर पढ़ें और बने रहें भक्तवत्सल के साथ क्योंकि ये है ‘आपके आध्यात्मिक सफर का साथी’