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रोते हुए शिव के चुप करने ब्रह्मा ने दिए थे 108 नाम (Rote Hue Shiv ke Chup karane Brahma Ne Die The 108 Naam)

Jul 17 2024

भगवान शिव के भक्त उन्हें अलग अलग नामों से पुकारते और पूजते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब ब्रह्म देव ने सृष्टि की रचना की तो इसके पालन करने की जिम्मदारी भगवान विष्णु के पास थी। लेकिन कुछ समय बाद जब  ब्रह्मा जी को संहारक की आवश्यकता हुई तो तो भगवान शिव बालक स्वरूप में प्रकट हुए और वह जोर जोर से रोने लगे। ब्रह्म देव ने उनसे पूछा कि वे क्यों रो रहे हैं तब बाल शिव ने कहा कि उनका कोई नाम नहीं है। इस पर ब्रह्म देव ने उनका पहला नाम रुद्र रखा। रुद्र शब्द संस्कृत के रुदन शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है रोना। रुद्र नाम से बालक शिव खुश नहीं हुए तो ब्रह्म देव उनका नामकरण करते गए और उन्होंने शिव जी के 108 नाम रख दिए। जब नामों की संख्या 108 पर पहुंच गई तो बाल शिव ने का रुदन शांत हो गया और वे प्रसन्न हो गए। जिसके बाद से भगवान शिव के 108 नामों का उच्चारण करना बहुत ही लाभकारी और शुभ माना गया है। चलिए जानते है क्या है भगवान शिव 108 नाम और क्या है उनके मतलब को:

 

शिव के 108 नाम  अर्थ के साथ


आशुतोष सभी इच्छाओं को जल्द पूरा करने वाला

आदिगुरू सबसे पहले गुरु

आदिनाथ सबसे पहले भगवान

आदियोग सबसे पहले योगी

अजा अजन्मा

अक्षयगुणा असीम गुणों वाला

अनघा दोषरहित

अनंत दृष्टि अनंत दृष्टि का

औघड़ वे जो हर समय मस्त रहते हों

अव्ययप्रभू अविनाशी

भैरव भय का नाश करने वाले

भालनेत्र जिसके माथे पर आंख हो

भोलेनाथ सरल स्वाभाव वाले

भूतेश्वर जो तत्वों में निपुणता रखते हों (भूतों के ईश्वर)

भूदेव धरती के भगवान

भूतपाल अशरीरीर प्राणियों के रक्षय

चंद्रपाल  चंद्रमा के आराध्य

चंद्रप्रकाश जिनके सिर पर चंद्रमा शोभित है

दयालु दया करने वाले

देवाधिदेव देवों के देव

धनदीप  धन के देवता

ध्यानदीप ध्यान के देवता

ध्युतिधर तेज के भगवान

दिगंबर आकाश को अपने वस्त्र के रूप में धारण करने वाले

दुर्जनीय  जिनने जानना कठिन है

दुर्जय जिन्हें जीता जा सके

गंगाधर गंगा नदी के भगवान

गिरीजापति मां गिरीजा के वर

गुणग्राही गुणों को स्वीकार करने वालो

गुरूदेव  सभी गुरुओं के देव अथवा महान गुरू

हर पापों का निवारण करने वाले

जगदीश ब्रह्मांड के अधिपति

जराधीशमन कष्टों से मुक्ति देने वाले

जतिन उलझे हुए बालों वाले

कैलास जो शान्ति प्रदान करते हैं

कैलाशाधिपति कैलाश पर्वत के भगवान

कैलाशनाथ कैलाश पर्वत के स्वामी

कमलाक्षण कमल नेत्र के स्वामी

कांथा हमेशा उज्जवल रहने वाले

कपालिन वे जो कपाल का हार पहनते हैं

कोचादाइयां लंबे बालों वाले भगवान

कुण्डलिन वह जो बालियाँ पहनता हो

ललाटाक्ष जिनके माथे में आंख है

लिंगाध्यक्ष लिंगों के स्वामी

लोकांकर तीनों लोकों का निर्माता

लोकपाल जो दुनिया की देखभाल करता है

महाबुद्धि चरम बुद्धि वाला

महादेव सबसे महान भगवान

महाकाल समय के स्वामी

महामाया महान माया के स्वामी

महामृत्युंजय मृत्यु के महान विजेता

महानिधि महान भंडार

महाशक्तिमाया वे जिनकी ऊर्जाएं असीम हैं

महायोगी महान योगी

महेश सर्वोच्च स्वामी

महेश्वर देवों के देव

नागभूषण वे जिनके पास आभूषणों के रूप में नाग हैं

नटराज नाचने की कला का राजा

नीलकंठ जिनका गला नीला है

नित्यसुन्दर हमेशा सुंदर

 नृत्यप्रिय  नृत्य के प्रेमी

ओमकारा के निर्माता

पालनहार जो सबका पालन करे

पंचवक्त्र पांच मुख वाले

परमेश्वर सभी देवताओं में सबसे पहले

परमज्योति महानतम वैभव

प्रियदर्शन प्रेममयी दृष्टि वाले

प्रियभक्त भक्तों का पसंदीदा

प्रणव  के मौलिक ध्वनि के मूल

पिनाकिन जिनके हाथ में धनुष है

पशुपति सभी जीवों के भगवान

पुष्कर वे जो पोषण देता हैं

पुष्पलोचन जिनके पास फूल जैसी आंखें हैं

रविलोचन जिनकी आँखें सूर्य जैसी हों

रुद्र गरजने या रुदन करने वाला

सदाशिव जो श्रेष्ठ हो

 सनातन   अनन्त भगवान, सत्य के स्वामी

सर्वाचार्य सर्वोच्च शिक्षक

सर्वशिव अनन्त भगवान

सर्वत्पन सभी के शिक्षक

सर्वयोनी हमेशा शुद्ध

सर्वेश्वर सभी के भगवान

शम्भो शुभ के दाता

शंकर सभी भगवानों के भगवान

शान्त स्कंद के उपदेशक

शूलिन आनंद देने वाला

श्रेष्ठ चंद्रमा के देवता

श्रीकांत हमेशा शुद्ध

श्रुतिप्रकाश जिनके पास त्रिशूल हो

स्कंद्गुरू वेदों के रचयिता, स्कंदों के गुरू

सोमेश्वर वे जिनके पास शुद्ध शरीर हो, जो चांद के ईश्वर हों

सुखद आनंद देने वाला

स्वयंभू जिन्होंने स्वयं को बनाया है

तेजस्विनी जो रोशनी फैलाता है

त्रिलोचन तीन नेत्र वाले भगवान

त्रिलोकपति तीनों लोकों के स्वामी

त्रिपुरारी लोभ, मोह और अहंकार को नष्ट कर देने वाला

त्रिशूलिन  जिनके हाथ में

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