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पितृपक्ष में न इन वस्तुओं को खरीदने से होता है नुकसान, जानिए क्या हैं श्राद्ध पक्ष के नियम

Sep 15 2024

पितृ पक्ष, एक ऐसा समय जब अपनी आत्मा की शांति और मोक्ष की तलाश में 16 दिन तक हमारे पूर्वज हमारे बीच रहते हैं। यह एक ऐसा समय है जब हम उनकी याद में तर्पण और पिंडदान करते हैं, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले और वे अपने मोक्ष की ओर बढ़ सकें। हम अपने घर की पितृशांति के लिए कई तरह के कार्य करते हैं और कई सारी पूजा और श्राद्ध भी करते हैं इसलिए इन दिनों को श्राद्ध पक्ष में नाम दिया गया है। श्राद्ध पक्ष में कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जिन्हें खरीदना शुभ नहीं माना जाता और कहते हैं कि इन चीजों को श्राद्ध पक्ष में खरीदने से जीवन में किसी प्रकार की हानि हो सकती है। जबकि कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें घर लाने से आपके भाग्य में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा श्राद्ध पक्ष में कुछ कामों को वर्जित बताया गया है जबकि दूसरी तरफ कुछ काम ऐसे भी हैं जिन्हें करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।। भक्तवत्सल के इस लेख में जानेंगे कि पितृपक्ष में करने योग्य और न करने योग्य सभी कार्यों को विस्तार से…..


पितृ पक्ष के नियम इस प्रकार हैं


पितृ पक्ष में सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए। इस दौरान नए कपड़े नहीं पहनने चाहिए और मांस-मछली का सेवन भी नहीं करना चाहिए। पितृ पक्ष में दान करना चाहिए, इस दौरान अन्न दान करना बहुत शुभ माना गया है। पितरों के लिए भोजन बनाना चाहिए और उन्हें याद करना चाहिए। पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ और हवन करना चाहिए। पितृ पक्ष में परिवार के सभी सदस्यों को एकत्र होकर पितरों को याद करना चाहिए और उनके आशीर्वाद की कामना करनी चाहिए।


पितृ पक्ष में ये कार्य होते हैं वर्जित


पितृ पक्ष के दौरान किसी भी तरह के धार्मिक या मांगलिक कार्य जैसे- मुंडन, सगाई, विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, उपनयन संस्कार  आदि का आयोजन न करें। मान्यता है कि पितृपक्ष में शुभ कार्य करने से उनका फल नहीं मिलता है। साथ ही श्राद्ध के दौरान किसी भी तरह के नए बिजनेस की शुरुआत करना भी शुभ नहीं माना गया है। इससे घर में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।  पितृ पक्ष के दिनों में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इन दिनों अपने घर के बुजुर्गों और पितरों का अपमान न करें। इससे पितर नाराज हो जाते हैं और पितृ दोष लग सकता है।


पितृ पक्ष में खरीद सकते हैं ये चीजें


पितृ पक्ष के दौरान नया मकान, प्लॉट, फ्लैट, नई गाड़ी आदि खरीदा जा सकता है, इसमें कोई मनाही नहीं है। बल्कि ऐसी मान्यता है कि इन चीजों के खरीदने से पितृ खुश होते है और उन्नति का आशीर्वाद भी देते हैं। ऐसे में आप इन चीजों की खरीदारी कर सकते हैं। कई जगह पितृपक्ष के दौरान ऐसी चीजों को खरीदने की मनाही भी की जाती है, लेकिन सनातन संस्कृति के कुछ पंडित ऐसा करना शुभ मानते हैं और तर्क देते हुए कहते हैं कि - पितृ पक्ष में यदि पितरों की सनतान उन्नति करती है तो उन्हें खुशी होती है, इसलिए ऐसा करना शुभ होता है। 


पितृ पक्ष में क्या नहीं खरीदें?

 

पितृ पक्ष के समय में नए वस्त्र खरीदना वर्जित माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि पितृ पक्ष में वस्त्र का दान पितरों के लिए होता है। ऐसे में अन्न और वस्त्र के दान की महत्ता है। इस दौरान अन्न और वस्त्रों का दान देने से पितृ प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को समृद्धि का आशर्वाद देते हैं। मान्यताओं के अनुसार, अगर आप पितृ पक्ष में कोई नया सामान खरीदते हैं तो उसमें प्रेत का वास होता है। इसलिए इस दौरान सोना, चांदी या अन्य चीजें खरीदना वर्जित होता है। साथ ही शराब, नई घड़ी, नई चप्पलें, नए बर्तन भी नहीं खरीदने चाहिए। आईये अब आपको बताते हैं कि यदि पितृ पक्ष के दौरान आपने ये वर्जित चीजें खरीदी तो क्या होता हैं...धार्मिक मान्यताओं के अनुसार...

- पितृ पक्ष में वर्जित चीजें खरीदने से आपके पूर्वजों की आत्मा को कष्ट हो सकता है, जिससे वे अपने मोक्ष की ओर नहीं बढ़ पाएंगे।
- वर्जित चीजें खरीदने से आपके जीवन में अशांति और रुकावटें आ सकती हैं, जिससे आपके काम और व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो सकते हैं।
- पितृ पक्ष में वर्जित चीजें खरीदने से आपके जीवन में दुर्भाग्य और हानि हो सकती है, जिससे आपके सुख-समृद्धि प्रभावित हो सकते हैं।
- वर्जित चीजें खरीदने से आपके पूर्वजों का क्रोध हो सकता है, जिससे वे आपके जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर सकते हैं।

Disclaimer: आर्टिकल में दी गई सभी जानकारियां धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दी गई हैं। इसमें भक्तवत्सल किसी भी जानकारी के सही होने या गलत होने की पुष्टि नहीं करता है। 

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।