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असत्य पर सत्य की जीत के रूप में मनाया जाने वाला दशहरा पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है। इसे विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। यह पूरे साल में सबसे शुभ 3 तिथियों में से एक है। अन्य दो तिथियां चैत्र शुक्ल और कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा है। दशहरा मनाने की दो मुख्य वजह हैं। पहली भगवान राम से संबंधित है। उसके अनुसार, इसी दिन श्री राम ने रावण का वध किया था।
वहीं, दूसरी कथा के अनुसार मां दुर्गा ने 9 दिन की लड़ाई के बाद महिषासुर का वध भी दशहरे के दिन ही किया था। तभी से दशहरा नवरात्रि के बाद ही मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दशहरा नवरात्रि के बाद ही क्यों मनाया जाता है। चलिए भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको बताते हैं कि दशहरा नवरात्रि के समापन के बाद ही क्यों मनाया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर नामक राक्षस ने ब्रह्मा से पृथ्वी पर मौजूद किसी भी व्यक्ति से पराजित न होने का वरदान प्राप्त कर लिया और तीनों लोकों में अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए नरसंहार आरंभ कर दिया। देव और मानव सब उससे भयभीत हो गए। उसके अंत के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी सामूहिक शक्ति से मां दुर्गा को उत्पन्न किया।
आदि शक्ति मां भवानी ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध कर दसवें दिन उसका वध कर दिया। युद्ध के यही नौ दिन नवरात्रि के दिन हैं और विजय का दसवां दिन दशहरा। इसी वजह से दशहरा या विजयादशमी नवरात्रि के बाद मनाई जाती है।
एक और मान्यता है कि भगवान श्री राम ने रावण का वध करने से पहले देवी के सभी नौ रूपों की पूरी विधि-विधान के साथ नौ दिनों तक पूजा की। मां के आशीर्वाद से दसवें दिन दशानन रावण का वध किया था। यही नौ दिन नवरात्रि के थे और दसवें दिन विजयादशमी।
जैसा कि आप जान चुके हैं कि दशहरा मनाने के दो प्रमुख कारण हैं। ऐसे में हम आपको बताते हैं कि महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा का एक नाम विजया भी है। इसी कारण मैया के जीत के इस पर्व को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। वही यह श्री राम की विजय का प्रतीक भी है। ऐसे में इस दिन को विजयादशमी कहा जाता है।
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