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महाकुंभ का पहला अमृत स्नान पुष्य और पुनर्वसु नक्षत्र में आरंभ हो चुका है। प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी के पूजन के उपरांत नागा साधु शिव के स्वरूप में खुद को सजा चुके हैं। नख से शिख तक भभूत, जटाजूट, आंखों में सूरमा, हाथों में चिमटा, होठों पर सांब सदाशिव का नाम और समस्त शरीर में भभूत लपेटे, दिगंबर, हाथ में डमरू, त्रिशूल और कमंडल के साथ ही अवधूत की धुन में झूमते हुए नागा साधु त्रिवेणी के तट स्नान कर रहे हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में नागा साधुओं के 21 श्रृंगार के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हिंदू धर्म में सुहागिन 16 श्रृंगार करती हैं। जबकि, नागा साधु अमृत स्नान के लिए 21 श्रृंगार करते हैं। इसमें शरीर के साथ ही मन और वचन का भी श्रृंगार शामिल होता है। इसके साथ ही सर्वमंगल की कामना भी की जाती है। शरीर में भस्म लगाने के बाद चंदन, पांव में चांदी के कड़े, पंचकेश यानी जटा को पांच बार घुमाकर सिर में लपेटना, रोली का लेप, अंगूठी, फूलों की माला, हाथों में चिमटा, डमरू, कमंडल, माथे पर तिलक, आंखों में सूरमा, लंगोट, हाथों व पैरों में कड़ा और गले में रुद्राक्ष की माला धारण करने के बाद नागा साधु तैयार होते हैं।
इस श्रृंगार का मतलब दिखावा करना नहीं होता है। नागा साधु इसे अंदर तक महसूस भी करते हैं। महादेव को प्रसन्न करने के लिए 21 श्रृंगार के साथ ही नागा साधु संगम में अमृत स्नान की डुबकी लगाते हैं। महाकुंभ के मेले में आसन लगाए नागा साधु बाबा भोले की साधना करते हैं। बता दें कि नागा बनने के बाद साधना और तपस्या बेहद जरूरी होती है। स्नान से पहले नागा साधु खुद को सजाते हैं। इसमें तन के साथ ही मन को भी सजाना जरूरी होता है।
सिर से नख तक श्रृंगार के साथ ही मन का भी श्रृंगार भी जरूरी होता है। नागा साधु जो भी शरीर पर श्रृंगार करते हैं वह उनके इष्टदेव महादेव से जुड़ा हुआ है, जो इस प्रकार हैं।
इनके शिविरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है। स्थिति यह है कि पुलिस को हस्तक्षेप कर लोगों को नियंत्रित करना पड़ रहा है। हर कोई नागा संन्यासियों का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेना चाहता है।
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