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2025 मासी मागम कब है

Mar 06 2025

Masi Magam 2025: कब है मासी मगम, जानें शुभ मुहूर्त और तिथि, पूजा विधि और सबकुछ


मासी मागम तमिल हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे 'मासी माकम' के नाम से भी जाना जाता है। यह हर साल तमिल महीने मासी (फरवरी-मार्च) की मागम नक्षत्र के दिन मनाया जाता है।

इस दिन विभिन्न अनुष्ठान और पूजा की जाती है। भक्तगण समुद्र, नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करके भगवान शिव, मुरुगन और अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों या समुद्र में स्नान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।


मासी मागम कब है?


तमिल पंचांग के अनुसार, मासी मागम त्यौहार हर साल तमिल माह (फरवरी-मार्च) 'मासी' के 'माकम नक्षत्र' में मनाया जाता है। माकम नक्षत्र को 'मागम नक्षत्र' या 'मघा नक्षत्र' भी कहा जाता है।

साल 2025 में यह पर्व बुधवार, 12 मार्च को पड़ रहा है।



मासी मागम 2025 समय:


  • मागम् नक्षत्रम् प्रारंभ: 12 मार्च, 2025 को सुबह 02:15 बजे
  • मागम् नक्षत्रम् समाप्त: 13 मार्च, 2025 को सुबह 04:05 बजे



मासी मागम का महत्व


मासी मागम साल का सबसे शक्तिशाली 'पूर्ण चंद्र दिवस' होता है। बारह वर्षों में एक बार, जब मासी मागम के दिन बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करते हैं, तब यह पर्व 'महा मागम' के रूप में मनाया जाता है। यह संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस दिन समुद्र तट पर लाखों की संख्या में लोग एकत्र होते हैं। मंदिरों की मूर्तियों को एक शोभायात्रा के साथ समुद्र के किनारे स्नान के लिए ले जाया जाता है। इसके बाद देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना और कई अनुष्ठान किए जाते हैं। शोभायात्रा में शामिल भक्त अपने पापों से मुक्ति के लिए पवित्र जल में स्नान करते हैं। अंत में, देवी-देवताओं की मूर्तियों को वापस झांकियों में मंदिर ले जाया जाता है।

इस दिन मंदिरों में गज पूजा (हाथी की पूजा) और अश्व पूजा (घोड़े की पूजा) करने की भी परंपरा है।



मासी मागम के लाभ


  • पवित्र नदियों और समुद्र में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
  • सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से जीवन में सुख-सौभाग्य मिलता है।
  • श्राद्ध और पितरों को तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पूजा-अर्चना करने से सकारात्मक शक्तियों का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं।
  • पवित्र नदी में स्नान करने से जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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