नवीनतम लेख

ये है हिंदू धर्म का सबसे पहला अखाड़ा?

Dec 09 2024

अटल अखाड़ा माना जाता है हिंदू धर्म का पहला अखाड़ा, इसके नागा साधुओं ने मुगलों के खिलाफ लड़ी थी लड़ाई 


कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा सांस्कृतिक समागम है। इस समागम की  शोभा अखाड़े बढ़ाते है, जो साधु संतों के संगठन होते है। इन्ही में से एक है श्री पंचायती अटल अखाड़ा। शैव संप्रदाय के इस अखाड़े की जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं। इसे हिंदू धर्म का पहला अखाड़ा भी कहा जाता है। अटल अखाड़े का योगदान न केवल धार्मिक क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक क्षेत्रों  में है। वहीं अखाड़े को अपने इतिहास के कारण शस्त्रधारी भी कहा जाता है। शैक्षिक कार्यों के लिए भी अखाड़ा प्रसिद्ध है। अटल का अर्थ भी अडिग होता है, जो अखाड़े के साधुओं के चरित्र और सिद्धांतों को दर्शाता है। इसकी स्थापना, परंपराएं, और योगदान इसे अन्य अखाड़ों से अलग पहचान दिलाती हैं। चलिए आपको इसकी स्थापना और इससे जुड़ी रोचक बातों के बारे में और विस्तार से बताते हैं।



अटल अखाड़े की स्थापना 


अटल अखाड़े की स्थापना को लेकर कोई लिखित प्रमाण नहीं है। लेकिन अखाड़े के महंतों के मुताबिक इसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने गुजरात के गोंडवाना में 569 ईस्वी में रखी थी। इस अखाड़े के इष्ट देव आदि गजानन है। हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शुरुआत में आदि शंकराचार्य ने जो 4 अखाड़े स्थापित किए थे, उनमें से एक अटल अखाड़ा भी था। हालांकि कुछ इतिहासकार मानते हैं कि आदि शंकराचार्य के स्थापित करने से पहले भी अटल अखाड़ा मौजूद था।



ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य ही ले सकते हैं दीक्षा


नियमों के मुताबिक अटल अखाड़े में  सिर्फ ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य ही दीक्षा ले सकते हैं। अखाड़े का मुख्य पीठ गुजरात के पाटन में हैं। वहीं अन्य अखाड़ों की तरह हरिद्वार, उज्जैन, प्रयाग में उनका आश्रम है। अटल अखाड़े को महानिर्वाणी अखाड़े का छोटा भाई भी कहा जाता है।


मुगलों से टकराया है अटल अखाड़ा


अटल अखाड़े का इतिहास वैभवशाली रहा है। इसकी स्थापना ही  मुस्लिम आक्रमणकारियों से हिंदू धर्म की रक्षा करने के लिए की गई थी। इसी कारण से अखाड़े के साधु संतों ने कई जंग लड़ी। इनमें खिलजी और मुगलों से लड़ी जंग भी शामिल है।


पुराने समय में कई राजा जंग लड़ने के लिए अखाड़े से मदद  मांगते थे। एक बार तो  युद्ध कौशल से प्रभावित होकर मुगल बादशाह अकबर ने अखाड़े के नागा साधुओं को बादशाह की उपाधि से भी नवाजा था।


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।