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हिंद महासागर के नीले विस्तार के बीच, एक ऊंची चट्टान पर स्थित है कोनेस्वरम मंदिर, एक ऐसा शिवधाम जो आस्था, इतिहास और रहस्य से घिरा हुआ है। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है और यह श्रीलंका के पांच प्राचीन शिव मंदिरों में शामिल है। पुर्तगालियों द्वारा एक बार नष्ट कर दिए जाने के बावजूद, यह मंदिर आज भी श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है।
श्रीलंका के पूर्वी तट पर बसे त्रिंकोमाली शहर में स्थित यह मंदिर स्वामी रॉक नाम की विशाल चट्टान पर खड़ा है। यहां से हिन्द महासागर का दृश्य इतना मंत्रमुग्ध करने वाला है कि यहां आने वाले सैलानी आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ प्रकृति की अनुपम सुंदरता का भी अनुभव करते हैं।
कोनेस्वरम मंदिर को तमिल में थिरुकोनेश्वरम कहा जाता है। "कोन" का अर्थ है कोना (किनारा) और "ईश्वरम" यानी भगवान का स्थान। यानी यह शिव का वो मंदिर है जो समुद्र के किनारे स्थित है।
मान्यता है कि रावण ने इसी स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। उसने अपने दस में से एक-एक सिर अर्पित किए थे, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उसे असीम बल और शिवभक्त की उपाधि दी।
कोनेस्वरम मंदिर श्रीलंका के पंच ईश्वरम मंदिरों में एक है। पांच प्राचीन शिव मंदिर जो हिंदू मान्यताओं में विशेष स्थान रखते हैं। अन्य चार हैं मुननेस्वरम, थिरुकेतेश्वरम, नागुलेस्वरम और तेंदेश्वरम।
इतिहासकारों के अनुसार, यह मंदिर दो हजार साल से भी पुराना है। इसका उल्लेख तमिल ग्रंथ सिलप्पदिकारम, मनिमेखलई और संस्कृत के स्कंद पुराण में भी मिलता है। चोल और पांड्य राजाओं के काल में यह मंदिर बेहद समृद्ध और विशाल था। कहा जाता है कि उस समय यहां हजार से अधिक खंभे थे और यह द्रविड़ स्थापत्य का अद्वितीय नमूना था।
लेकिन सन् 1622 में पुर्तगाली आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और इसकी मूर्तियां समुद्र में फेंक दीं। बाद में कुछ मूर्तियां समुद्र से निकाली गईं और बीसवीं सदी में मंदिर का आंशिक पुनर्निर्माण हुआ।
मंदिर के पास एक चट्टान है जिसे "लवर्स लीप" कहा जाता है। लोककथा है कि एक तमिल राजकुमारी अपने प्रेमी से बिछड़ने के बाद दुख में इसी चट्टान से कूद गई थी। आज भी यह चट्टान प्रेम की त्रासदी और साहस का प्रतीक मानी जाती है।
स्वामी रॉक के नीचे कई सुरंगों और मूर्तियों के अवशेष आज भी मौजूद हैं, जिन्हें लेकर पुरातत्वविद लगातार खोज में जुटे हैं।
आज कोनेस्वरम मंदिर न सिर्फ एक तीर्थस्थल है, बल्कि एक ऐसा स्थल है जहां धार्मिकता, इतिहास और प्रकृति एक साथ झलकते हैं। यहां हर साल हजारों भक्त शिवरात्रि, अरुधरा दर्शन और तमिल नववर्ष जैसे पर्वों पर दर्शन करने आते हैं।
कोनेस्वरम मंदिर श्रीलंका के त्रिंकोमाली जिले में स्थित है और वहां पहुंचने के लिए आप हवाई, रेल और सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। कोलंबो में स्थित बंदारनायके अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से आप पहले कोलंबो शहर पहुंच सकते हैं, और फिर वहाँ से त्रिंकोमाली के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। त्रिंकोमाली से मंदिर की दूरी लगभग 10-12 किलोमीटर है, जिसे आप स्थानीय परिवहन से आसानी से कवर कर सकते हैं। इसके अलावा, कोलंबो से त्रिंकोमाली तक ट्रेन सेवा भी उपलब्ध है।
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