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2025 में कब है हनुमान जयंती

Feb 17 2025

Hanuman Jayanti 2025 Date: साल 2025 में कब मनाई जाएगी हनुमान जयंती? यहां जानें सही तारीख और शुभ मुहूर्त


चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। इसी दिन माता अंजनी और वानरराज केसरी के घर बजरंगबली का जन्म हुआ था। प्रत्येक वर्ष यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मारुति नंदन के साथ प्रभु श्रीराम और माता सीता की भी पूजा का विधान है। कहा जाता है कि बिना राम जी की पूजा के बजरंगबली की आराधना अधूरी मानी जाती है। तो आइए, इस आर्टिकल में हनुमान जयंती की तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।


2025 में कब मनाई जाएगी हनुमान जयंती?


साल 2025 में हनुमान जयंती शनिवार, 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। बता दें कि जब हनुमान जयंती मंगलवार या शनिवार के दिन आती है, तो भक्तों को इसका दोगुना लाभ प्राप्त होता है। हनुमान जी की पूजा से शनि देव की शुभता प्राप्त होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।


हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त


हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल 2025 को प्रातः 03 बजकर 21 मिनट पर होगी और अगले दिन 13 अप्रैल 2025 को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था। इसी कारण हनुमान जयंती के दिन, विशेषकर मंदिरों और मठों में, ब्रह्ममुहूर्त में आध्यात्मिक प्रवचनों का आयोजन किया जाता है।


  • सुबह पूजा का मुहूर्त: सुबह 07:35 से सुबह 09:10 तक
  • शाम पूजा का मुहूर्त: शाम 06:45 से रात 08:09 तक


जानिए हनुमान जयंती का महत्व


हनुमान जयंती के दिन विधि-विधान से बजरंगबली की पूजा करने से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस दिन मंदिर जाकर हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल और बेसन के लड्डू अर्पित करें। साथ ही, हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ और फलदायी माना जाता है। रामायण, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ करना भी इस दिन लाभदायक माना जाता है।


क्यों मनाते हैं हनुमान जयंती?


अंजना नाम की एक अप्‍सरा को श्राप के कारण धरती पर जन्म लेना पड़ा था। उस श्राप से मुक्ति पाने का उपाय यह था कि वह एक संतान को जन्म दें। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, केसरी हनुमान जी के पिता थे और वे सुमेरु पर्वत के राजा थे। केसरी बृहस्पति देव के पुत्र माने जाते हैं। संतान प्राप्ति के लिए अंजना ने 12 वर्षों तक भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। तपस्या के फलस्वरूप उन्हें हनुमान जी पुत्र रूप में प्राप्त हुए। मान्यता है कि हनुमान जी स्वयं भगवान शिव के अवतार हैं।


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