पितृपक्ष में नहीं जा पा रहे हैं घाटों पर तो घर में रहकर इस विधि से करें श्राद्ध कर्म, तृप्त हो जाएंगे पितृ
पितृपक्ष की शुरूआत होते ही हम अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिए पवित्र नदियों के तट की तलाश में लग जाते हैं, जहां इस दौरान बहुत भीड़ देखने को मिलती है। सभी लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र घाटों पर जाकर तर्पण करते हैं। लेकिन यदि पितृपक्ष में गया, गोदावरी तट और प्रयाग जैसे पवित्र स्थलों पर आपका जाना संभव नहीं हो पा रहा है तो चिंता की बात नहीं है, आप घर पर रहकर भी अपने पितरों को खुश कर सकते हैं। घर पर श्राद्ध करने के लिए पौराणिक ग्रंथ जैसे महाभारत, पद्मपुराण समेत अनेक स्मृति ग्रंथों में पूरी विधि का उल्लेख किया गया है जिसमें आप अपने सामार्थ्य के अनुसार श्राद्ध कर सकते हैं
इस प्रकार श्राद्ध करने से :
आपकी इच्छाएं पूरी होती हैं।
घर-परिवार में शांति और सुख का वातावरण बनता है।
व्यवसाय और आजीविका में उन्नति होती है।
हर तरह की रुकावटें और बाधाएं दूर हो जाती हैं।
पितृपक्ष में घर पर रहकर पितरों को खुश करने का तरीका
श्राद्ध की तिथि पर सूर्योदय यानी सुबह से लेकर दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक ही श्राद्ध करना शुभ माना गया है।
इसके लिए सुबह उठकर नहाएं, उसके बाद पूरे घर की सफाई करें।
घर में गंगाजल और गौमूत्र भी छिड़कें।
दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बांए पैर को मोड़कर, बांए घुटने को जमीन पर टीका कर बैठ जाएं।
फिर तांबे के चौड़े बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी डालें। उस जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें।
घर के आंगन में रंगोली बनाएं। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं।
श्राद्ध के अधिकारी व्यक्ति यानी श्रेष्ठ ब्राह्मण को न्यौता देकर बुलाएं। ब्राह्मण को भोजन करवाएं और निमंत्रित ब्राह्मण के पैर धोना भी शुभ होता है। ऐसा करते समय पत्नी को दाहिनी तरफ होना चाहिए।
पितरों के निमित्त अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर अर्पण करें। ब्राह्मण भोजन से पहले पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालें।
दक्षिणाभिमुख (दक्षिण दिशा में मुंह रखकर) होकर कुश, जौं, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प करें और एक या तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं। इसके बाद भोजन थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसें।
प्रसन्न होकर भोजन परोसें। भोजन के उपरांत यथाशक्ति दक्षिणा और अन्य सामग्री दान करें। इसमें गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक (जिसे महादान कहा गया है) का दान करें। इसके बाद निमंत्रित ब्राह्मण की चार बार प्रदक्षिणा कर आशीर्वाद लें।
ब्राह्मण को चाहिए कि स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें तथा गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें।
श्राद्ध में सफेद फूलों का ही उपयोग करें। श्राद्ध करने के लिए दूध, गंगाजल, शहद, सफेद कपड़े, अभिजित मुहूर्त और तिल मुख्य रूप से जरूरी है।