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हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को त्रिमूर्ति माना जाता है। ये तीनों देवता सृष्टि के रचनाकार, पालनकर्ता और संहारक हैं। विष्णु और महेश की पूजा तो हर जगह होती है, लेकिन ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं होती, यह सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है। केवल एकमात्र पुष्कर में ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
एक बार ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता, अपने वाहन हंस पर सवार होकर संसार में भ्रमण कर रहे थे। उनके हाथ में एक सुंदर कमल का फूल था। वे एक ऐसे पवित्र स्थान की तलाश में थे जहां वे अग्नि यज्ञ कर सकें।
जब वे एक विशेष स्थान पर पहुंचे, तो उनके हाथ से कमल का फूल धरती पर गिर गया। जैसे ही फूल धरती पर गिरा, उस स्थान पर एक अद्भुत झरना फूट निकला। इस झरने से तीन अलग-अलग धाराएँ निकलीं और तीन विशाल सरोवर बन गए। इन सरोवरों को क्रमशः ब्रह्म पुष्कर, विष्णु पुष्कर और शिव पुष्कर के नाम से जाना जाता है। यह देखकर ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने महसूस किया कि यह स्थान यज्ञ करने के लिए अत्यंत पवित्र है। इसलिए उन्होंने उसी स्थान पर यज्ञ करने का निश्चय किया।
आपको बता दें, हिंदू धर्म में यज्ञ को एक पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। यह माना जाता है कि यज्ञ के माध्यम से देवताओं को प्रसन्न किया जाता है और इससे धरती पर सुख-समृद्धि आती है। ब्रह्मा जी, जो सृष्टि के रचयिता हैं, उनके लिए यज्ञ का विशेष महत्व होता था।
एक बार ब्रह्मा जी एक यज्ञ का आयोजन कर रहे थे। यज्ञ के लिए शुभ मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण होता है और यदि वह निकल जाता है तो यज्ञ का पूरा फल नहीं मिलता है, लेकिन यज्ञ के दौरान ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री वहां मौजूद नहीं थीं। शुभ मुहूर्त निकल रहा था और यज्ञ अधूरा रहने का खतरा था। इस स्थिति में ब्रह्मा जी ने एक त्वरित निर्णय लिया। उन्होंने यज्ञ स्थल पर उपस्थित एक सुंदर स्त्री से विवाह कर लिया और उसी के साथ यज्ञ संपन्न किया। ब्रह्मा जी का मानना था कि यज्ञ का महत्व इतना अधिक है कि इसके लिए कुछ भी किया जा सकता है।
जब यह बात देवी सावित्री को पता चली तो वे बहुत क्रोधित हुईं और सावित्री ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि जिसने सृष्टि की रचना की है, पूरी सृष्टि में उसी की कहीं पूजा नहीं की जाएगी। हालांकि, सावित्री ने अपने क्रोध में थोड़ा शांत होकर ब्रह्मा जी को एक वरदान भी दिया। उन्होंने कहा कि पुष्कर में ब्रह्मा जी का एक मंदिर होगा। इसी कारण आज भी पुष्कर को छोड़कर पूरी दुनिया में ब्रह्मा जी का कोई मंदिर नहीं है।
पुराणों के अनुसार, जब सावित्री देवी ने अपना क्रोध शांत किया, तो वे तपस्या के लिए एक पवित्र स्थान की तलाश में निकल पड़ीं। उन्होंने पुष्कर के पास स्थित शांत पहाड़ियों को चुना। इस पवित्र स्थल पर उन्होंने कठोर तपस्या की और भगवान ब्रह्मा की आराधना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया कि वे इसी स्थान पर हमेशा के लिए विराजमान रहेंगी और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करेंगी।
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