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अमावस्या एक ऐसा दिन होता है जब ना तो चंद्रमा क्षय होता है ना ही उदित। दरअसल, अमावस्या सूर्य और चंद्र के मिलन का समय होता है। चंद्रमा हमारे मन मस्तिष्क पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है।
संगम नहीं जा पाए तो ऐसे ले कुंभ का पुण्य लाभ
महाकुंभ मेले की भव्यता की बातें चारों ओर हो रही हैं। कड़ाके की ठंड होने के बावजूद लाखों की संख्या में लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर रहे हैं। मान्यता है कि कुंभ में नदी स्नान से मनुष्यों के सारे पाप धुल जाते हैं।
13 जनवरी 2025, से शुरू हुआ महाकुंभ हिंदू धर्म में आस्था, विश्वास और श्रद्धा का अनूठा संगम है। महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम पर साधु-संत, संन्यासी, भक्त और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही इस समय कई लोग कल्पवास भी करते हैं।
यमुना नदी का महत्व भारतीय संस्कृति, इतिहास और धर्म में बेहद खास है। यह केवल एक नदी नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था, जीवन और सभ्यता की आधारशिला है। इस संगम स्थल को "त्रिवेणी संगम" कहा जाता है।
अघोरी बाबा महाकुंभ में आकर्षण केंद्र हैं। अघोरी साधु तंत्र साधना करते हैं। अघोरियों को डरावना और खतरनाक प्रकार का साधु भी माना जाता है। अघोर बनने की पहली शर्त है अपने मन से घृणा को निकाल देना।
प्रयागराज में संगम पर लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। यदि आप पितृ दोष से पीड़ित हैं या अपने पूर्वजों की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो यह समय आपके लिए बेहद उपयुक्त है। मान्यता है कि पितृ नाराज होने पर जातक की कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है।
महाकुंभ से लौटकर घर में क्या उपाय करें
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो चुकी है। पहले अमृत स्नान के दिन लगभग 3 करोड़ 50 लाख श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाने पहुंचे। अगर आप भी महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं या लगाने वाले हैं, तो घर लौटने के बाद कुछ विशेष कार्य करना शुभ माना जाता है।
महाकुंभ के तट पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। हर बार की तरह इस बार भी नागा साधु महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। नागा साधु के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या आप नागिन साध्वी के बारे में जानते हैं? नागिन साध्वी, यानी महिला नागा साधु, गृहस्थ जीवन से पूर्णतः दूर हो चुकी होती हैं।
गृह प्रवेश शुभ मुहूर्त फरवरी 2025
सनातन धर्म में शुभ कार्यों की शुरुआत करने से पहले शुभ तिथि और मुहूर्त का महत्व बहुत अधिक है। यह मान्यता है कि शुभ तिथि और मुहूर्त में किया गया कार्य अवश्य सफल होता है।