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गरुड़ पुराण से जानिए कैसे होती है मृत्यु के बाद की यात्रा

पितृपक्ष की शुरूआत 18 सितंबर से हो चुकी है, यो पर्व 2 अक्टूबर तक जारी रहेंगे। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि करते हैं। घर-परिवार में जिन लोगों की मृत्यू हो जाती है, वो पितृ बन जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसान की मृत्यू के बाद भी उसकी राह आसान नहीं होती है।

जानिए कौनसी है सप्त मातृकाएं

नवरात्रि में नौ देवियों के अलावा सप्त मातृकाओं की भी होती है विशेष पूजा, जानिए कौन सी हैं ये माताएं

नवरात्रि मेंं सात चक्र की महत्ता

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मैया के प्रमुख ग्रंथ

अगर आप भी चाहते हैं माता के बारे में प्रमुख जानकारी, तो इन चार ग्रंथों में मिलेगा मैय्या की महिमा के गुणगान

घर में रहकर इस तरह करें श्राद्ध

पितृपक्ष की शुरूआत होते ही हम अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिए पवित्र नदियों के तट की तलाश में लग जाते हैं, जहां इस दौरान बहुत भीड़ देखने को मिलती है। सभी लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र घाटों पर जाकर तर्पण करते हैं।

"शनिवार के दिन चतुर्थी का शुभ संयोग, गणेश और शनिपूजा के बाद करें पितरों का श्राद्ध, चमक उठेगी किस्मत "

पितृपक्ष की शुरूआत हो चुकी है, ये 16 दिन हमारे पूर्वजों और पितरों को समर्पित होते हैं। इस दौरान किए गए श्राद्ध-तर्पण से घर-परिवार के पितर देवता तृप्त होते हैं और परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।

मांं के सोलह श्रृंगार

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नवरात्रि में मां के भोग

नवरात्रि के नौ दिनों में मां को रोज लगाएं अलग-अलग तरह के भोग, प्रसन्न हो जाएंगी माता जगतजननी

माता की अष्ट सिद्धियां

यह होती हैं नौ दुर्गा मां की अष्ट सिद्धियां, भगवान शिव ने भी मैय्या से प्राप्त की थीं दिव्य शक्तियां