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कब किया जाएगा अगला शाही स्नान?
प्रयागराज में 12 वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए उमड़े हैं। यह महान धार्मिक आयोजन, जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक रहा है, विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम माना जाता है।
घर बैठे कल्पवास कर सकते हैं या नहीं?
महाकुंभ में इस वक्त कल्पवासी, कल्पवास कर रहे हैं। कुंभ में हजारों-लाखों लोग कल्पवास व्रत रखते हैं। कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस पर्व के महत्व को समझने के लिए सबसे पहले समझें कि कल्पवास का अर्थ क्या होता है।
प्रयागराज में 13 जनवरी से जोर शोर से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। यहां, साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला अभी भी जारी है। इसी क्रम में महाकुंभ में बवंडर बाबा भी पहुंचे हैं।
बाबा गंगापुरी, 32 सालों से नहीं किया स्नान
महाकुंभ 2025 में, गंगापुरी महाराज अपनी हाइट को लेकर सुर्ख़ियों में हैं और आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उनकी हाइट महज 3 फिट है। इतनी लंबाई महज पांच-छह साल के बच्चे की होती है।
13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, मकर संक्रांति के पवित्र स्नान पर करोड़ो साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने यहां आस्था की डुबकी भी लगाई है। कुंभ नगरी में बड़ी संख्या में देशभर से साधु-संत भी पहुंचे हैं।
कहते हैं जब भगवान पर आस्था होती है तो आपकी जिंदगी भगवान की हो जाती है। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के रहने वाले हंसराज बाबा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उन्होंने अपनों से मिले दुख और अन्याय के कारण अपने जीवन को वैराग्य की ओर मोड़ दिया।
विनायक चतुर्थी 2025 में कब-कब पड़ेंगी?
विनायक चतुर्थी एक अत्यधिक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर महीने में दो बार आता है जिसमें शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
सत्यनारायण व्रत 2025 में कब-कब रखा जाएगा?
सत्यनारायण व्रत एक पवित्र और शक्तिशाली धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भर देता है।
महाकुंभ में सबसे खास होता है शाही स्नान, शाही स्नान के साथ-साथ इस मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु भी होते हैं। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान किया जा चुका है, जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।