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शारदीय नवरात्रि 2024: माता की प्रतिमा, ज्योत और ज्वारों का विसर्जन विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त
नवरात्रि मतलब देवी आराधना के नौ पवित्र दिन। इन नौ दिनों तक भक्त मैया की आराधना करते हैं और आखिरी में मैय्या रानी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।
दशहरे के दिन छोटे बच्चों को क्यों है उपहार देने की परंपरा, पढ़िए राजा बलि की कथा
भारतीय परंपरा में विजयादशमी भगवान श्रीराम की लंका अधिपति रावण के ऊपर विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाला उत्सव है।
नवरात्रि सप्तमी 2024: शारदीय नवरात्रि की सप्तमी कब है?
माता के सप्तम स्वरूप के रूप में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है। माता के कालरात्रि पूजा की नवरात्रि की सप्तमी तिथि को की जाती है, इस दिन घरों में अपने अपने कुल देवी-देवता की पूजन होती है और साथ ही ये दिन सप्त मातृकाओं की पूजा का भी है।
शारदीय नवरात्रि 2024: जानिए कब मनाई जाएगी महानवमी
नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी कहा जाता है। इस सभी प्रकार की सिद्धियों की दात्री, मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन माता के भक्त विशेष पूजा विधि के साथ मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। साथ ही इस दिन कन्या पूजन और हवन का भी विशेष आयोजन होता है। इस माध्यम से भक्त अपने जीवन में सफलता, शांति, और समृद्धि की कामना और प्राप्ति करते हैं।
शारदीय नवरात्रि 2024: इस दिन मनाई जाएगी दुर्गा अष्टमी
नवरात्रि 2024: इस दिन मनाई जाएगी दुर्गा अष्टमी, जानिए माता महागौरी की पूजा विधि के साथ शुभ मुहूर्त
मध्यप्रदेश में देवी के प्रसिद्ध 3 मंदिर
मध्यप्रदेश के देवी मंदिर में दर्शन करने आते हैं शेर, जानिए क्या है पचमढ़ी और देवास के माता मंदिर की कहानी
हिमाचल प्रदेश में माता के प्रसिद्ध मंदिर
हिडम्बा देवी से लेकर मसरूर रॉक कट तक ये हैं हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिर, पहाड़ी शैली के निर्माण में बनी है अद्भुत कलाकृति
तमिलनाडु में इस अनोखे अंदाज में मनाई जाती है नवरात्रि, जानिए क्या है गोलू सजाने की परंपरा
तमिलनाडु में नवरात्रि का त्योहार बेहद खास और अनोखे तरीके से मनाया जाता है जिसे 'गोलू' परंपरा के नाम से जाना जाता है। जहां एक तरफ उत्तर और पश्चिम भारत में नवरात्रि को डांडिया और दुर्गा पूजा से जोड़ा जाता है।
दुर्गा पूजा पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन पश्चिम बंगाल में इसका महत्व अलग ही होता है। यहां दुर्गापूजा केवल 09 दिनों का एक त्योहार नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर के उल्लास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।