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साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। यात्रा के दौरान तीन रथों पर भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र विराजमान होते हैं।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह दिन महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। बहनें इस पर्व का सालभर बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन वे अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।
श्री राम का जन्म चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि के दिन अभिजित नक्षत्र में दोपहर बारह बजे के बाद हुआ था। इस दिन विधिपूर्वक भगवान राम की पूजा की जाती है। इसलिए, रामनवमी का दिन भगवान राम की पूजा के लिए समर्पित होता है।
चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। इसी दिन माता अंजनी और वानरराज केसरी के घर बजरंगबली का जन्म हुआ था। प्रत्येक वर्ष यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। वहीं आज सोमवार का दिन है। इस तिथि पर चित्रा नक्षत्र और शूल योग का संयोग बन रहा है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। वहीं आज रविवार का दिन है। इस तिथि पर धृति और शूल योग का संयोग बन रहा है।
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। वहीं आज शनिवार का दिन है। इस तिथि पर धृति योग का संयोग बन रहा है।
सनातन धर्म में मां दुर्गा को शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना गया है। मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा नवरात्रि के दौरान की जाती है। यह पर्व साल में चार बार मनाया जाता है—शारदीय नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रियां।