नवीनतम लेख

महाकुंभ

कल्पवास के 21 नियम

13 जनवरी 2025, से शुरू हुआ महाकुंभ हिंदू धर्म में आस्था, विश्वास और श्रद्धा का अनूठा संगम है। महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम पर साधु-संत, संन्यासी, भक्त और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही इस समय कई लोग कल्पवास भी करते हैं।

यमुना नदी का महत्व

यमुना नदी का महत्व भारतीय संस्कृति, इतिहास और धर्म में बेहद खास है। यह केवल एक नदी नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था, जीवन और सभ्यता की आधारशिला है। इस संगम स्थल को "त्रिवेणी संगम" कहा जाता है।

अघोरी कैसे बनते हैं

अघोरी बाबा महाकुंभ में आकर्षण केंद्र हैं। अघोरी साधु तंत्र साधना करते हैं। अघोरियों को डरावना और खतरनाक प्रकार का साधु भी माना जाता है। अघोर बनने की पहली शर्त है अपने मन से घृणा को निकाल देना।

महाकुंभ में पितृ दोष के उपाय

प्रयागराज में संगम पर लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। यदि आप पितृ दोष से पीड़ित हैं या अपने पूर्वजों की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो यह समय आपके लिए बेहद उपयुक्त है। मान्यता है कि पितृ नाराज होने पर जातक की कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है।

महाकुंभ से लौटकर घर में क्या उपाय करें

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो चुकी है। पहले अमृत स्नान के दिन लगभग 3 करोड़ 50 लाख श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाने पहुंचे। अगर आप भी महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं या लगाने वाले हैं, तो घर लौटने के बाद कुछ विशेष कार्य करना शुभ माना जाता है।

नागिन साध्वी कौन होती हैं

महाकुंभ के तट पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। हर बार की तरह इस बार भी नागा साधु महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। नागा साधु के बारे में तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या आप नागिन साध्वी के बारे में जानते हैं? नागिन साध्वी, यानी महिला नागा साधु, गृहस्थ जीवन से पूर्णतः दूर हो चुकी होती हैं।

नागा साधुओं के अंतिम संस्कार कैसे होता है

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में अखाड़े और साधु-संत आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इनमें से सबसे अलग और अद्भुत दिखने वाले नागा साधु हैं। भस्म लगाए और अपने विशिष्ट स्वरूप में नागा साधु हर किसी का ध्यान खींचते हैं।

संन्यास और वैराग्य में क्या अंतर है

संन्यास और वैराग्य, दोनों ही आध्यात्मिक साधना के प्रमुख मार्ग हैं। परंतु, जब भी लोग किसी संन्यासी को देखते हैं तो अक्सर उन्हें वैरागी समझ लिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोनों ही उच्च आध्यात्मिक साधना और ईश्वर की भक्ति से जुड़े होते हैं।

नागा साधु क्यों नहीं नहाते

नागा साधु एक विशेष प्रकार के संन्यासी होते हैं, जो अपनी साधना और तपस्या के लिए कठोर जीवनशैली अपनाते हैं। जबकि वे कुंभ मेले जैसे विशेष अवसरों पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, सामान्य साधु की तरह वे रोज नहाने पर विश्वास नहीं करते।