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महाकुंभ

चार जगह ही क्यों लगता है कुंभ

कुंभ मेला भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह आयोजन हिंदू धर्म की गहराई और आस्था का प्रतीक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।

कुंभ से जुड़ी पौराणिक कथा

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और पौराणिक इतिहास का प्रतीक है। इसका संबंध समुद्र मंथन की उस घटना से है, जिसमें देवताओं और दैत्यों ने मिलकर अमृत प्राप्त किया था।

कुंभ मेले का इतिहास

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की अदम्य शक्ति और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। यह महोत्सव ना सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है। बल्कि, यह आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।

कुंभ 12 वर्षों में क्यों होता है?

महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन में से एक है। प्रत्येक 12 साल में महाकुंभ का आयोजन भारत के चार पवित्र स्थलों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में किया जाता है।

कुंभ और महाकुंभ में क्या अंतर है

कुंभ मेला सनातन धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक जैसे पवित्र स्थलों पर आयोजित होता है।

देश में कहां-कहां लगता है कुंभ मेला

कुंभ मेला भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और विश्व प्रसिद्ध धार्मिक आयोजन है। यह मेला हर 12 साल में चार विशेष स्थानों पर आयोजित किया जाता है: प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक।

महाकुंभ 2025 शाही स्नान की तारीखें

Iमहाकुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। ये प्रत्येक 12 साल में आयोजित होता है। इसके बीच 6 साल के अंतराल पर अर्धकुंभ और हर 3 साल में कुंभ मेले का आयोजन भी किया जाता है।

महाकुंभ मेला 2025: कब और कहां लगेगा

संगम नगरी “प्रयागराज” जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती का मिलन होता है। इस पावन और ऐतिहासिक स्थल पर 12 साल के लंबे इंतजार के बाद महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन होने जा रहा है।