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चैती छठ के चार दिनों में क्या होता है
चैत्र माह में आने वाली छठ को चैती छठ के नाम से जाना जाता है। इस बार चैत्र छठ एक अप्रैल से शुरू होगी, जो तीन अप्रैल को संध्या अर्घ्य और चार अप्रैल को उषा अर्घ्य के साथ गुरुवार को समाप्त होगी।
चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाले छठ पर्व को 'चैती छठ' और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाले पर्व को 'कार्तिकी छठ' कहा जाता है। ये पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।
चैती छठ और कार्तिक छठ में अंतर
छठ का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस त्योहार का खास महत्व है। छठ का महापर्व छठी माता और सूर्य देव को समर्पित है।
छठ को भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। छठ का महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार छठ का महापर्व चैत्र महीने में मनाया जाता है जबकि दूसरी बार यह महापर्व कार्तिक महीने में मनाया जाता है।
चैती छठ पूजा 1 अप्रैल 2025 से शुरू होगी। छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें भक्त कड़े नियमों का पालन करते हुए व्रत रखते हैं और उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
संतान प्राप्ति के लिए छठ पर ये उपाय करें
छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। छठ पूजा को त्योहार के तौर पर नहीं, बल्कि महापर्व के तौर पर मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में आस्था और सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व चैती छठ को माना जाता है। छठ पूजा साल में दो बार कार्तिक और चैत्र माह में मनाई जाती है। कार्तिक छठ की तुलना में चैती छठ को कम लोग मनाते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी उतना ही खास है।
छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि महापर्व है, जो चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है। ये पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में।
लोक आस्था का महापर्व चैती छठ सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह 4 दिनों तक चलता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।