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छठ पूजा विशेष

ऊषा अर्घ्य पर कैसे करें फल प्राप्ति

हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को जीवनदायी शक्ति माना गया है। शास्त्रों के अनुसार नित्य भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सौभाग्य, उन्नति और समृद्धि आती है।

ऊषा अर्घ्य की विधियां

छठ महापर्व भारत में सूर्य उपासना का एक सबसे पवित्र और कठिन त्योहार है। जिसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है।

संध्या पर्व के यम नियम

छठ पूजा 04 दिनों का अत्यंत पवित्र पर्व है जो कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है। इन चार दिनों में व्रती महिलाएं और पुरुष सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना करते हैं।

छठ पूजा में कोबला

छठ पूजा विशेषकर भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसमें सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है।

छठ में प्रत्यूषा पूजा

हमारे देश में छठ पूजा का पर्व सूर्य और छठी मैया की उपासना का प्रमुख पर्व है ये चार दिनों तक चलता है। यह पर्व विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई वाले हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है।

छठ पूजा अर्घ्य विधि

छठ पूजा बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रमुखता से मनाया जाने वाला पर्व है। जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।

छठ पर्व में लोहंडा क्या है

छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। जिसे लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन का उद्देश्य मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण है।

एकांत कमरे में होता है खरना का व्रत

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इसी दिन से व्रतधारी प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करते हैं। इस दिन खरना विशेष महत्व रखता है और इसे एकांत या बंद कमरे में संपन्न किया जाता है।

खरना का प्रसाद बनाने की विधि

छठ पूजा में खरना का दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन के बाद से व्रत करने वाले 36 घंटे तक बिना जल के उपवास रखते हैं। खरना के दिन व्रती नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़, दूध, और साठी के चावल से प्रसाद तैयार करते हैं।