Vrat Tyohar: होलाष्टक कब से हो रहा है शुरू? जानें इस हफ्ते के खास व्रत और त्योहारों की पूरी जानकारी
फाल्गुन मास का प्रारंभ होते ही हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं। फाल्गुन मास में मनाए जाने वाला रंगों का त्यौहार जिसे हम होली कहते हैं। उसके ठीक 8 दिन पूर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार होलाष्टक का आगमन होता है, होलाष्टक यानी कि इसका अर्थ है होली के 8 दिन पहले। यह ऐसे अशुभ दिन की तरह माना जाता है, जिसमें ना तो आप शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं और ना ही शुभ कार्य करने के बारे में विचार कर सकते हैं। हालांकि इस दौरान भी कई सारे ऐसे व्रत हैं जो इस बीच आते हैं और लोग इसकी भी पूजा विधि-विधान से करते हैं। इस साल होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से होगी, वहीं होलाष्टक का समापन होली के एक दिन पहले यानी 13 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त हो जाएगा। आइए जानते हैं 4 मार्च (मंगलवार) से 9 मार्च (रविवार) तक पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों के बारे में। इस दौरान भी कौन-कौन से व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे।
मंगलवार से रविवार तक पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत
4 मार्च 2025 (मंगलवार) – विजया एकादशी
विजया एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। यह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
महत्व:
- इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- यह एकादशी विजय और सफलता दिलाने वाली मानी जाती है।
- पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए समुद्र तट पर इस व्रत को किया था।
क्या करें?
- सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
- दिनभर निराहार रहें या फलाहार करें।
- रात को जागरण और श्रीहरि का भजन करें।
5 मार्च 2025 (बुधवार) – गोविंद द्वादशी
गोविंद द्वादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र व्रत है।
महत्व:
- इसे रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- श्रीहरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
क्या करें?
- विष्णु सहस्रनाम और भगवान नारायण की पूजा करें।
- जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करें।
6 मार्च 2025 (गुरुवार) – प्रदोष व्रत (गुरुवार प्रदोष)
प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और यह भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित होता है।
महत्व:
- शिव कृपा से व्यक्ति के सभी कष्ट समाप्त होते हैं।
- आर्थिक स्थिति में सुधार और मानसिक शांति मिलती है।
क्या करें?
- संध्या के समय शिवजी की विशेष पूजा करें।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
7 मार्च 2025 (शुक्रवार) – होलाष्टक की शुरुआत
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक होलाष्टक का समय होता है।
महत्व:
- इस दौरान सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि वर्जित होते हैं।
- भक्त प्रह्लाद की कथा से इसका संबंध बताया जाता है।
क्या करें?
- दान-पुण्य करें, विशेष रूप से अन्न और वस्त्र दान करना शुभ होता है।
- श्रीहरि और शिव की उपासना करें।
8 मार्च 2025 (शनिवार) – मासिक शिवरात्रि
प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
महत्व:
- इस दिन व्रत और रुद्राभिषेक करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
- विवाह योग्य लोगों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।
क्या करें?
- उपवास रखें और भगवान शिव को जल, दूध, शहद अर्पित करें।
- ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
9 मार्च 2025 (रविवार) – फाल्गुन अमावस्या
फाल्गुन अमावस्या का विशेष महत्व होता है क्योंकि यह पितरों को समर्पित दिन होता है।
महत्व:
- इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध किया जाता है।
- पितृ दोष शांति के लिए यह दिन उत्तम माना जाता है।
क्या करें?
- गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।