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मार्च का महीना वसंत ऋतु की ताजगी और खुशबू लेकर आता है। इस समय प्रकृति में नया जीवन और उत्साह का संचार होता है। इस माह में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। आपको बता दें, होली मार्च महीने का सबसे प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार रंगों, हंसी-मजाक और एकता का प्रतीक है। होली के पहले दिन होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है, जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशी मनाते हैं। कुल मिलाकर मार्च का महीना बसंत ऋतु की सुंदरता और त्योहारों की धूमधाम के साथ एक विशेष महत्व रखता है।
आइए, भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं मार्च 2025 में कौन-कौन से प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे?
फुलेरा दूज फाल्गुन माह के मध्य में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो होली के आगमन का प्रतीक है। यह त्योहार उत्तर भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। फुलेरा दूज के बाद से ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इस त्योहार में फूलों से रंगोली बनाई जाती है और विशेष रूप से भगवान राधाकृष्ण का फूलों से श्रृंगार किया जाता है और लोग उनकी पूजा करते हैं। इस पर्व का महत्व ब्रजभूमि के श्रीकृष्ण मंदिरों में सबसे अधिक है। ब्रज में इस दिन फूलों की होली खेली जाती है और राधा-कृष्ण को फूल अर्पित किए जाते हैं।
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। इस दिन बप्पा की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि हो सकती है।
रोहिणी व्रत हर महीने में एक बार आता है। यह व्रत महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए किया जाता है।
होलाष्टक होली से आठ दिन पहले शुरू होता है और होलिका दहन के साथ समाप्त होता है। 2025 में, होलाष्टक 7 मार्च से 13 मार्च तक रहेगा। होलाष्टक के दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं। होलाष्टक के दौरान, नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक होता है। इसलिए, इस दौरान शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। इसके साथ ही होलाष्टक के दौरान मौसम में भी बदलाव होता है। इस समय में सर्दी कम होने लगती है और गर्मी का आगमन शुरू हो जाता है।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का नाम 'आमलकी' इसलिए है क्योंकि 'आमलकी' का अर्थ होता है 'आंवला'। इस दिन आंवले के पेड़ का विशेष महत्व होता है और भक्तजन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। आंवला हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसे स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और विशेष रूप से आंवला के पेड़ की परिक्रमा करते हैं। इस एकादशी को "आमलकी द्वादशी" भी कहा जाता है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत और दक्षिण भारत में मनाई जाती है।
होलिका दहन का मुहूर्त शाम या रात के समय होता है, जिसमें होलिका का दहन किया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए होलिका के वध का प्रतीक है।
होली, जिसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं, हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
संकष्टी चतुर्थी हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता हैं। इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
रंग पंचमी एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है जो होली के पांच दिन बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में, रंग पंचमी 19 मार्च, बुधवार को मनाई जाएगी। यह त्योहार रंगों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जहाँ लोग एक-दूसरे पर रंगीन पानी और गुलाल डालकर खुशी और उत्साह का इजहार करते हैं। यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
शीतला सप्तमी 2025 में 21 मार्च को मनाई जाएगी। यह पर्व हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है और इसे माता शीतला की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता शीतला को ठंडे भोजन का भोग लगाती हैं। यह पर्व स्वच्छता और शीतला माता के आशीर्वाद का प्रतीक है।
यह तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार महत्वपूर्ण है और इस दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है, जिसे बसोडा भी कहा जाता है। यह दिन शीतला माता की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें स्वच्छता और स्वास्थ्य की देवी माना जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता शीतला को बासी खाना खिलाया जाता है। यह त्योहार स्वच्छता के महत्व और बीमारियों से बचाव का प्रतीक है।
पापमोचिनी एकादशी, जो हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है, साल 2025 में 25 मार्च को मनाई जाएगी। पापमोचिनी एकादशी का अर्थ है 'पाप को नष्ट करने वाली'। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की अमावस्या तिथि को चैत्र अमावस्या कहा जाता है। यह तिथि पितरों को समर्पित है और इस दिन पिंडदान, तर्पण आदि कर्म किए जाते हैं। चैत्र अमावस्या के दिन स्नान, दान और पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से उन्हें शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हिंदू नववर्ष हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। यह तिथि हर साल बदलती है, लेकिन 2025 में यह 30 मार्च को है। हिंदू नववर्ष को कई नामों से जाना जाता है, जैसे कि गुड़ी पड़वा, उगादी, और विशु। गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं। चैत्र नवरात्रि भी 30 मार्च से शुरू होगी। यह नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। इन नौ दिनों में, देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।
गणगौर पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से राजस्थान में मनाया जाता है। यह त्योहार देवी पार्वती को समर्पित है और विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस त्योहार को मनाती हैं।